द फॉलोअप डेस्क
बीजेपी प्रदेश कार्यालय में 8 नवंबर को मिलन समारोह का आयोजन किया गया। धरणीधर मंडल और शैलेंद्र मंडल अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हुए। उनका असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और बीजेपी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष डॉ रविंद्र राय ने पट्टा पहनकर स्वागत किया। इस अवसर पर हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि धरणीधर मंडल का बीजेपी में मिलन हुआ है। उनके योगदान से सिंदरी विधानसभा में बीजेपी की जीत तय हो चुकी है शैलेंद्र मंडल ने भी पार्टी में योगदान किया है। दोनों का मैं स्वागत करता हूं।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी आदिवासी को आदिवासी मानती हैं। हमारे शब्दकोश में आदिवासी का ही प्रयोग होता है। राहुल गांधी ने जो बात बताने की कोशिश की है, इससे यही पता चलता है कि पहले उन्होंने ओबीसी समाज को बांटने का काम किया, अब आदिवासी समाज को भी बांटने की कोशिश कर रहे हैं। झारखंड विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के सभी नेता और विधायक मूलवासी और आदिवासी शब्द का ही प्रयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि झामुमो, कांग्रेस, राजद की सरकार ने झारखंड की बेटी, माटी और रोटी को लूटा है। संताल परगना में हर दिन एक विशेष समुदाय की जनसंख्या बढ़ रही है। सिदो कान्हो की जन्मभूमि में आदिवासी की जनसंख्या कैसे कम हो गई। यह जादू हेमंत सोरेन ने कहां से सीखा या सिर्फ बता दें। यह डिबेट करने की बात नहीं है।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कभी भोगनाडीह नहीं गए हैं, पाकुड़ नहीं गए। उन्हें लोगों के दुख की कैसे जानकारी होगी। कांग्रेस, झामुमो झारखंड और आदिवासी समाज की रोटी, बेटी और माटी की रक्षा करने में असफल रहे। भोगनाडीह और पाकुड़ की हार्ड रियलिटी सबको पता है। राहुल गांधी को कोई सीरियसली नहीं लेता है। आगे उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा आदिवासी समाज के रक्षक हैं। भगवान बिरसा मुंडा आदिवासी परंपरा और संस्कृति की रक्षा के लिए काम करते थे, लेकिन संविधान तो उनके निधन के बाद आया। सोनिया गांधी को राहुल गांधी को कुछ ट्रेनिंग देकर भेजना चाहिए। बिना ट्रेनिंग और बिना कंट्रोल की मिसाइल अनियंत्रित हो जाती है।
उन्होंने कहा कि मणिपुर आदिवासियों के लिए आज भी सुरक्षित है। वहां रिकॉन्सिलिएशन चल रहा है। बातचीत चल रही है, लेकिन झारखंड में आदिवासी सबसे ज्यादा असुरक्षित है। मणिपुर से भी असुरक्षित है। संताल परगना में 1951 में आदिवासी 44% थे, आज आदिवासी घटकर 28 परसेंट हो चुके हैं। क्या मणिपुर में आदिवासी घटे हैं। मणिपुर से झारखंड में आदिवासी की समस्या ज्यादा है। झारखंड में सबसे ज्यादा खतरे में आदिवासी हैं। मणिपुर में हर साल आदिवासियों की संख्या बढ़ रही है। हेमंत सोरेन के राज्य में सबसे ज्यादा आदिवासियों का पलायन हुआ है। उनके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है। उनके जाने की तैयारी हो चुकी है।
इस अवसर पर धरणीधर मंडल ने कहा कि एक बार फिर से घर वापसी करके सुख धनुभूति हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश काफी खुशहाल है और प्रगति की ओर बढ़ रहा है। इसे देखते हुए मैं आज पुनः घर वापसी कर रहा हूं। बीजेपी फिर से झारखंड में सरकार बनाएगी। पार्टी मुझे जो दायित्व देगी, उसका मैं पालन करूंगा।