द फॉलोअप डेस्कः
नौ साल में देश में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी यानि गरीबी से बाहर आए हैं। यानि लोग स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर के मामले में गरीबी से बाहर आए हैं। नीति आयोग ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें कहा कि झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में गरीबों की संख्या घटी है। जारी रिपोर्ट के अनुसार, देश में बहुआयामी गरीबी 2013-14 में 29.17 प्रतिशत थी जो 2022-23 में घटकर 11.28 प्रतिशत रही। इसके साथ ही इस अवधि के दौरान 24.82 करोड़ लोग इस श्रेणी से बाहर आए हैं।
2015 से बेहतर हालात में झारखंड
झारखंड में 2015-16 में 42.10 लोग गरीबी रेखा में थे वहीं 2019-21 में यह संख्या घटकर 28.81 रह गई। आयोग ने कहा कि राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर के मोर्चे पर कमी की स्थिति को मापती है। यह 12 सतत विकास लक्ष्यों से संबद्ध संकेतकों के माध्यम से दर्शाए जाते हैं। इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृत्व स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश टॉप पर रहा
रिपोर्ट के मुताबिक सभी राज्यों में उत्तर प्रदेश इस मामले में टॉप पर रहा है। यहां 5.94 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। वहीं बिहार में 3.77 करोड़ और मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए। बहुआयामी गरीबी सूचकांक के सभी 12 संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है।
20 साल में सुधार आया है
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले लगभग दो दशकों में लोगों के जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है। इस दौरान गरीबी का स्तर तेजी से 50 फीसदी से घटकर 11.28 फीसदी पर आ गया है। गरीबी में गिरावट की तेजी से साफ है कि 2024 के दौरान भारत इस मोर्चे पर एक अंक के आंकड़े में पहुंच जाएगा। गरीबी में आई कमी के श्रेय काफी हद तक सरकार की तरफ से लागू की गई योजनाओं को जाते हैं।