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लोहरदगा की 'सलमा बार्बर' ने पेश की महिला सशक्तिकरण की मिसाल, पढ़िए संघर्ष की कहानी

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द फॉलोअप डेस्क, लोहरदगा:

लोहरदगा के कुडू की सलमा ने महिला सशक्तिकरण की वास्तविक मिसाल पेश की है। सलमा सैलून में काम कर मर्दवादी सोच को चुनौती दे रही हैं। दरअसल, लोहरदगा के कुडू निवासी सलमा कैंची और उस्तुरा लेकर पुरुषों के बाल काटती हैं। उनकी दाढ़ी सेव करती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जितनी सफाई से सलमा सैलून में काम करती हैं, लोग उनके हुनर के कायल हैं। हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि सभी लोग सलमा की हिम्मत को सलाम ही करते हैं। पुरुषों के वर्चस्व वाले रोजगार में एक महिला को देख कई लोगों को हैरानी होती है तो कुछ लोग आपस में कानाफूसी भी करते हैं। हालांकि, जो भी हो। सलमा ने इस संवाद को चरितार्थ तो किया ही है कि, कोई भी धंधा छोटा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। 

पति की शराब की लत ने परिवार को मुश्किलों में डाला
ऐसा भी नहीं है कि सलमा ने खुद अपनी मर्जी से यह पेशा चुना थी बल्कि हालात उन्हें इस पेशे में ले आया। गौरलब है कि जहां आज सलमा उस्तरा और कैंची लेकर पुरुषों के बाल और दाढ़ी काटती नजर आती हैं कभी वहां उनके पति काम किया करते थे। शराब की लत से जब सलमा का पति बर्बाद हो गया तो सलमा ने अपने कंधों पर गृहस्थी की गाड़ी खींचने का फैसला किया। 4 बेटियों के पाल-पोषण की जिम्मेदारी संभालते हुए सलमा ने सैलून में काम करना शुरू कर दिया। शुरू में समाज ने ताने मारे। उसके बाहर जाकर यूं काम करने पर सवाल उठाए। चरित्र तक पर उंगलियां उठी लेकिन सलमा डिगी नहीं। सलमा ने पहले कुछ दिन रांची में आकर काम सीखा और फिर कुडू में जाकर अपनी सैलून खोल ली। अब वहां ग्राहकों की कोई कमी नहीं। 

अतीत को पीछे छोड़ जिंदगी में आगे बढ़ रही हैं सलमा
दुखद अतीत को पीछे छोड़ चुकीं सलमा जिंदगी में आगे बढ़ चुकी हैं। सलमा का कहना है कि सैलून से रोजाना 500 रुपये तक की कमाई हो जाती है। कभी-कभी कमाई 1000 रुपये तक भी पहुंचती है। बेटियों को अच्छी शिक्षा दे पा रही है। एक बेटी इस साल 10वीं बोर्ड की परीक्षा देगी। वह, समाज की बातों को दरकिनार कर धुन की पक्की होकर अपने काम में जुटी रहती हैं।