रांचीः
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले महीने 17 मई को ही आदेश दिया था कि झारखंड विधानसभा और निमार्णधीन झारखंड के निर्माम में जो अनियमितता बरती गई है उसकी न्यायिक जांच हो, आदेश के एक माह बाद भी जांच नहीं शुरू की गई। सीएम के आदेश के बाद परामर्श के लिए महाधिवक्ता को भेजी गई फाइल अभी को अभी तक उलट कर भी नहीं देखा गया। हुआ और ना ही न्यायिक जांच की कोई प्रक्रिया शुरू हुई।
एसीबी से जांच कराने के आदेश
गौरतलब है कि सीएम ने इन दोनों भवनों के निर्माण की जांच की जिम्मेदारी एसीबी को दी है। बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में झारखंड विधानसभा के नए भवन का निर्माण हुआ। गौरतलब है कि विधानसभा के नए भवन के निर्माण की लागत शुरुआत में 465 करोड़ रुपये से घटाकर 323.03 करोड़ कर दी गई थी। बाद में वास्तुदोष का हवाला देते हुए हुए क्षेत्रफल में बदलाव किया गया और फिर से टेंडर हुआ। इस भवन के निर्माण की जिम्मेदारी दोबारा रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी को ही दे दिया गया। इसकी वजह निर्माण पर आने वाली लागत में 136 करोड़ रुपये का इजाफा हो गया था। करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद विधानसभा के नवनिर्मित भवन की मजबूती और निर्माण कार्य की गुणवत्ता को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं।
हाईकोर्ट में भी अनियमितता
इसी तरह झारखंड हाईकोर्ट के नए भवन के निर्माण में भी शुरुआती अनुमानित लागत 265 करोड़ रुपये थी। जैसे- जैसे काम बढ़ता गया, ये राशि भी बढ़ती गई। हाईकोर्ट के इस इस नए भवन के निर्माण में 697 करोड़ रुपये खर्च हो गए।