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52 साल पुरानी पार्टी मासस का अस्तित्व आज हो जाएगा खत्म, माले के साथ होगा विलय

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द फॉलोअप डेस्कः

52 साल पुराने राजनीतिक दल मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का सोमवार को स्वतंत्र अस्तित्व खत्म हो जायेगा। 29 अप्रैल 1972 को दिग्गज वाम नेता एके राय द्वारा स्थापित पार्टी का नौ सितंबर 2024 को माले में विलय हो जायेगा। इसके साथ ही एक समय धनबाद की बड़ी वाम ताकत के रूप में पहचान रखने वाली पार्टी इतिहास के पन्नों में सिमट जायेगी। गोल्फ मैदान एक बार फिर धनबाद में एक बड़े राजनीतिक परिवर्तन का गवाह बनेगा। अब मासस के नेता, कार्यकर्ता माले के सदस्य कहे जायेंगे।


धनबाद के गोल्फ मैदान में सोमवार को मासस-माले की एकता रैली होगी। विलय समारोह सह एकता रैली के लिए मैदान पूरी तरह से से तैयार है। पूरा इलाका लाल झंडा से पटा हुआ है। एक लंबे अर्से के बाद यहां किसी वाम दल की तरफ से इस तरह की सभा एवं रैली का आयोजन किया जा रहा है। दूसरे राजनीतिक दलों की तरह मासस व माले नेताओं ने शहर में बड़े-बड़े होर्डिंग-बैनर लगाये हैं। व्यक्तिगत कट आउट भी लगाये गये हैं। मैदान की तरफ जाने वाले रास्ते भी लाल झंडा से पटा हुआ है।


एक समय धनबाद में मासस की तूती बोलती थी। एके राय तीन बार धनबाद के सांसद रहे। साथ ही निरसा व सिंदरी विधानसभा सीट से कई बार मासस प्रत्याशी विजयी हुए। पिछले विस चुनाव में मासस ने अकेले चुनाव लड़ा था। उम्मीद है कि माले में विलय के बाद शायद इस बार इंडिया गठबंधन के तहत यहां से विधानसभा चुनाव लड़े। माले में विलय के बाद धनबाद में लाल झंडा एक बार फिर से ताकतवर हो सकता है। कई अन्य वाम संगठनों से भी एकता हो सकती है।  इसका असर आम राजनीति से लेकर मजदूर राजनीति तक पर पड़ना तय है। 

विलय पर क्या बोले विनोद सिंह
बगोदर विधायक सह माले नेता विनोद सिंह ने कहा कि विलय की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही थी। दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं के बीच बातचीत चल रही थी। पहले भी मासस एवं माले मिल कर काम करते रहे हैं। इस विलय का असर धनबाद ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड की राजनीति पर पड़ेगा। झारखंड में वाम एकता की दिशा में यह बड़ी पहल है। आने वाले दिनों में यहां पर वाम दल मजबूत हो कर उभरेंगे। यह ऐतिहासिक निर्णय है।