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आजादी के 77 साल बाद भी इस गांव के 41 आदिवासी परिवार पानी की एक बूंद के लिए तरस रहे

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द फॉलोअप डेस्क, सिमेडेगा 

सिमडेगा जिले में पानी की समस्या से दर्जनों आदिवास परिवार का जीना मुहाल है। जिले के जलडेगा प्रखंड के गट्टीगढ़ा में बगैर जलमीनार बनाये घरों तक पानी कनेक्शन पहुंचा दिया गया है। दरअसल, राज्य सरकार की जल जीवन मिशन में करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में बने जलमीनार शोभा की वस्तु बन कर रह गई है। शुद्ध पेयजल के लिए लालायित लोग जलमीनार बनने के खबर सुनकर काफी आशान्वित थे। लेकिन विभागीय उदासीनता ने ग्रामीणों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। आज तक एक बूंद भी पानी नल से नहीं टपका। इस गांव में 41आदिवासी परिवार पानी की एक बून्द के लिए तरस रहे हैं।

बिना जलमीनार के घरों तक पहुंचा दिया जल-नल का कनेक्शन

गट्टीगढ़ा गांव के लोगों ने बताया कि संवेदक जय मां कंस्ट्रक्शन द्वारा एक साल पहले गांव में दो बोरिंग किया गया है। लेकिन आज तक न तो जलमीनार बना न किसी को एक बूंद पानी मिला। दिखावा के लिए संवेदक द्वारा बिना जल मीनार के घरों तक नल लगा दिया गया है। जिसके कारण यहां के लोग कुआं और दाड़ी का गंदा पानी पीने को विवश है।

ग्रामीण सेबयान होब्बो, इलियस तोपनो, संदीप तोपनो, अमित होब्बो, सुगड़ होब्बो, जोन तोपनो, सिलवन्ती होब्बो, पररस होब्बो, सागेन होब्बो, रासा सुरीन, सुखराम सुरीन, बंधनू सुरीन आदि ने कहा हम लोग आदिवासी है हमारे साथ मजाक किया जा रहा है, हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। आरोप है कि विभागीय साठ-गांठ के कारण ऐसे संवेदकों के ऊपर कभी कोई कारवाई की खबर नहीं आती है।

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