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नई शराब नीति को लेकर युवाओं में नाराजगी, बोले- आदिवासियों का भला चाहती सरकार तो गांव-गांव स्कूल खोलती 

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द फॉलोअप डेस्क 
"शराब नहीं शिक्षा, चाहिए मंईयां सम्मान योजना नहीं रोजगार चाहिए" कुछ इसी तरह के नारो के साथ इन दोनों गुमला की युवा सरकार की शराब नीति का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि शराब के सेवन के कारण समाज पूरी तरह से बर्बाद हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार शराब पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने की बजाय शराब को राजस्व का माध्यम क्यों बनना चाहती है। ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले युवक-युवतियों ने स्पष्ट कहा है कि सरकार की शराब नीति का वह पुरजोर विरोध करते हैं। सरकार गांव-गांव तक घर-घर तक शराब पहुंचाना चाह रही है जिससे की पूरी तरह से समाज बर्बाद हो जाएगा। 

युवाओं ने हेमंत सोरेन सरकार से मांग की कि शराब नीति को पूरी तरह से संशोधित करते हुए शराब पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई जाए। साथ ही लोगों को कैसे रोजगार का अवसर मिल सके इसके लिए व्यवस्था की जानी चाहिए। ग्रामीण युवाओं ने स्पष्ट कहा कि सरकार केवल मंईयां योजना के नाम पर लोगों को गुमराह करने का काम कर रही है। क्या मंईयां योजना के बलबूते पर एक परिवार का पूरी तरह से सर्वांगीण विकास हो सकता है। आज झारखंड में शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य चीजों की व्यवस्था सही रूप से नहीं हो पा रही है। वैसे में लोगों को केवल मंईयां योजना से सरकार लोगों को गुमराह करने का काम कर रही है। युवाओं ने स्पष्ट कहा कि हेमंत सोरेन सरकार को जिस उम्मीद और भरोसे के साथ उन्होंने वोट देकर सत्ता मिलने का काम किया था अब उन्हें इस बात का पछतावा हो रहा है। 

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