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गुमला के ‘सिरसी ता नाले’ को आदिवासी तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जाएगा: चमरा लिंडा 

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गुमला
जिले के डुमरी प्रखंड स्थित अकासी पंचायत में आज सिरसी-ता-नाले (दोन) कंकड़ों लता राजकीय समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर झारखंड सरकार के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री  चमरा लिंडा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में सिसई विधायक जिग्गा सुसारन होरो, खूंटी विधायक  राम सूर्य मुंडा, चक्रधरपुर विधायक सुखराम उरांव, ख़िजरी विधायक राजेश कच्छप सहित अन्य अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत देश के वीर शहीदों को नमन करते हुए उनके चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इसके उपरांत सभी मुख्य अतिथियों ने सिरसी ता सी नाले में पूजा-अर्चना कर सामूहिक प्रार्थना की।

कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए उपायुक्त  कर्ण सत्यार्थी ने अपने संबोधन में जानकारी देते हुए  में कहा कि पहली बार गुमला जिले में इस प्रकार के राजकीय मेले का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने इसे ऐतिहासिक पहल बताते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में इसे और अधिक व्यापक स्तर पर आयोजित किया जाएगा। उपायुक्त ने कुड़ुख भाषा में भी जनसमुदाय को संबोधित किया और आदिवासी संस्कृति एवं परंपराओं के संरक्षण की दिशा में जिला प्रशासन की प्रतिबद्धता दोहराई।

कार्यक्रम में कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान, धार्मिक अधिकारों और उनके उत्थान पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि धर्म समाज को एकजुट करने और शक्ति प्रदान करने का कार्य करता है। इस आयोजन को उन्होंने आदिवासी धर्म और संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। मंत्री लिंडा ने घोषणा की कि सिरसी ता नाले क्षेत्र को आदिवासी तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जाएगा और इसे राष्ट्रीय स्तर पर कुंभ मेले की तरह मान्यता दिलाने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि आदिवासी समाज सदियों से सूर्य, चंद्रमा, धरती, जल, जंगल और प्रकृति की पूजा करता आ रहा है और यही उसकी पहचान का मूल आधार है। उन्होंने सरना धर्म को भारत सरकार से मान्यता दिलाने के लिए चल रहे संघर्ष को जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की और कहा कि यह आयोजन उसी दिशा में एक सशक्त कदम है।

इस अवसर पर खूंटी विधायक राम सूर्य मुंडा ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने जो परंपराएं स्थापित की हैं, उन्हें संरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है। हमें अपने जंगल, पहाड़ और सांस्कृतिक रीति-रिवाजों को सुरक्षित रखना होगा। चक्रधरपुर विधायक सुखराम उरांव ने इसे ऐतिहासिक आयोजन बताते हुए कहा कि सरकार धार्मिक स्थलों के माध्यम से ऐतिहासिक परंपराओं को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रही है। इस आयोजन से समाज अपनी संस्कृति से और अधिक जुड़ सकेगा। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से अब लोग कंकड़ों लता के ऐतिहासिक महत्व को जान सकेंगे।

सिसई विधायक  जिग्गा सुसारन होरो ने कहा कि अगले वर्ष इस आयोजन को और भी भव्य रूप दिया जाएगा। उन्होंने उन श्रद्धालुओं की भी सराहना की जो उपवास करके लंबी दूरी तय कर इस पवित्र स्थल तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की शक्ति प्रकृति से जुड़ी हुई है और पर्वत एवं जंगल उनकी आस्था के प्रतीक हैं। इस दौरान अन्य अतिथियों ने भी अपने विचार रखे और इस आयोजन को ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया। समारोह में हजारों श्रद्धालु एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे और इस आयोजन की सराहना की।


 

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