द फॉलोअप डेस्क
फोर्ब्स ने 2025 के लिए विश्व के सबसे शक्तिशाली देशों की सूची जारी की है, जिसमें एक चौंकाने वाला बदलाव सामने आया है। इस बार भारत को टॉप 10 देशों में जगह नहीं मिल पाई है, जबकि सऊदी अरब और इज़राइल जैसे देशों ने इस सूची में अपनी जगह बनाई है। ये सूची तैयार करते वक्त देशों की ताकत का आकलन कुछ अहम पहलुओं पर किया जाता है जैसे वैश्विक प्रभाव, सैन्य क्षमता, आर्थिक स्थिति और राजनीतिक स्थिरता। आइए जानते हैं कि इस बार भारत को क्यों बाहर रखा गया और किन देशों ने टॉप 10 में जगह बनाई है।
फोर्ब्स की शक्तिशाली देशों की लिस्ट कैसे तैयार होती है?
फोर्ब्स की इस सूची को तैयार करने में यूएस न्यूज का भी योगदान होता है, जिसमें देशों की ताकत को पांच मुख्य पहलुओं के आधार पर मापा जाता है:
1. नेतृत्व क्षमता – देश का नेतृत्व कितना प्रभावी और प्रेरणादायक है।
2. आर्थिक प्रभाव – देश की आर्थिक स्थिति कितनी मजबूत है।
3. राजनीतिक प्रभाव – वैश्विक राजनीति में देश की भूमिका और प्रभाव।
4. अंतरराष्ट्रीय गठबंधन – अन्य देशों के साथ रिश्ते और साझेदारी।
5. सैन्य शक्ति – देश की सेना की ताकत और सैन्य संसाधनों की स्थिति।
2025 के टॉप 10 शक्तिशाली देश:
1. अमेरिका (GDP: 30.34 ट्रिलियन डॉलर, जनसंख्या: 34.5 करोड़)
2. चीन (GDP: 19.53 ट्रिलियन डॉलर, जनसंख्या: 141.9 करोड़)
3. रूस (GDP: 2.2 ट्रिलियन डॉलर, जनसंख्या: 14.4 करोड़)
4. UK (GDP: 3.73 ट्रिलियन डॉलर, जनसंख्या: 6.91 करोड़)
5. जर्मनी (GDP: 4.92 ट्रिलियन डॉलर, जनसंख्या: 8.45 करोड़)
6. दक्षिण कोरिया (GDP: 1.95 ट्रिलियन डॉलर, जनसंख्या: 5.17 करोड़)
7. फ्रांस (GDP: 3.28 ट्रिलियन डॉलर, जनसंख्या: 6.65 करोड़)
8. जापान (GDP: 4.39 ट्रिलियन डॉलर, जनसंख्या: 12.37 करोड़)
9. सऊदी अरब (GDP: 1.14 ट्रिलियन डॉलर, जनसंख्या: 3.39 करोड़)
10. इज़राइल (GDP: 0.55 ट्रिलियन डॉलर, जनसंख्या: 0.93 करोड़)
भारत को इस सूची से बाहर करने पर उठे सवाल:
भारत के बाहर होने पर कुछ विशेषज्ञों और नागरिकों के बीच सवाल उठ रहे हैं। भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में पांचवें स्थान पर है और यह तेजी से बढ़ रही है। भारतीय सेना चौथी सबसे बड़ी सेना है और अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों से लैस है। इसके अलावा, भारत का वैश्विक राजनीति में भी महत्वपूर्ण स्थान है, और वह G20, BRICS और QUAD जैसे संगठनों का अहम सदस्य है। फिर भी, भारत इस सूची में क्यों नहीं है? कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि फोर्ब्स की रैंकिंग में आंकड़ों के साथ-साथ राजनीतिक निर्णय और वैश्विक रणनीतियाँ भी बड़ी भूमिका निभाती हैं।