रांची
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा की वित्त राज्य मंत्री द्वारा झारखंडी जनता का 1.36 लाख करोड रुपए बकाये कर की मांग को ठुकराना उनके नियत में आयी खोट को उजागर करता है। झारखंडी जनता द्वारा नकारे जाने को प्रधानमंत्री पचा नहीं पा रहे हैं। यही कारण है कि हार का गुस्सा जनता पर निकालने के लिए झारखंड का पैसा हड़पने की कोशिश केंद्र सरकार कर रही है। भाजपा की नियत हमेशा शक दायरे में रहती है। क्योंकि नियत बदलने का, झूठ बोलने का भाजपा का पुराना इतिहास रहा है।
उन्होंने कहा कि कि केंद्र सरकार झारखंड के हकमारी की कोशिश कर रही है और झारखंड से भाजपा के 12 संसद मौन होकर तमाशा देख रहे हैं। अगर भाजपा सांसदों को शर्म है तो झारखंड के अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज़ उठाएं। अपने आका से बकाया की वापसी का दबाव बनाएं। ताकि झारखंड में इन पैसों से विकास का काम हो सके। झारखंड से केंद्र सरकार में दो मंत्री हैं। लोकसभा की 14 में से 9 सीटों पर जनता ने जनादेश दिया। इनको बकाया पैसे के लिए आवाज उठानी चाहिए। परंतु यह दुर्भाग्य की बात है कि इस प्रकरण पर यहां के भाजपा के चुने हुए जनप्रतिनिधियों की जुबान फेविकोल से चिपक गई है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नियत पर हमें पूरा शक था इसलिए चुनाव पूर्व अपने जारी 7 गारंटी में हमने स्पष्ट कर दिया था कि बकाया 1.36 लाख करोड़ की वापसी के लिए कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़े तो लड़ेंगे। झारखंड की जनता जानती है कि यह बकाया किस मद का है। यह कोयला रॉयल्टी का बकाया है। परंतु केंद्र तानाशाही ढंग अपना कर झारखंडियों के पैसे को बेईमानी से हड़पना चाहती है। जनता इस धोखे को देख रही है।