द फॉलोअप डेस्क, देवघर:
झारखंड के गोड्डा लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि मोदी ही शंकराचार्य हैं। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का शंकाराचार्यों द्वारा विरोध किया जाना दरअसल, ब्रह्मनिकल डिसऑर्डर का परिणाम है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की जीवनशैली भी शंकाराचार्य की तरह है। निशिकांत दुबे ने कहा कि मोदी भी शंकराचार्य की तरह ही एकल और सयंमित जीवन जीते हैं। तपस्वी की तरह जीवन-यापन करते हैं। 11 दिनों से उपवास पर हैं।
शंकराचार्य जैसा तपस्वी जीवन जीते हैं मोदी!
सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि पीएम मोदी भी शंकराचार्य की तरह तपस्वी जीवन जीते हैं। आने वाले कुछ दिनों में वह पलंग पर नहीं सोएंगे। निशिकांत दुबे ने कहा कि देश को ब्रह्मनिकल डिसऑर्डर से बाहर निकलना होगा। निशिकांत दुबे ने कहा कि अब विचारों में परिवर्तन का दौर है। निशिकांत दुबे ने कहा कि महाभारत काल में अंग प्रदेश ने सूत पुत्र कर्ण को राजा के रूप में स्वीकार कर लिया था। अंग की धरती पर कर्म के आधार पर व्यक्ति की पूजा होती है। लोग अपने कर्म से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र हो गए हैं।
22 जनवरी के समारोह में शंकराचार्य नहीं आएंगे
गौरतलब है कि 22 जनवरी को अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सनातन (हिंदू) धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु शंकराचार्य ने आने से मना कर दिया है। उन्होंने अधूरे मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा को शास्त्र विरुद्ध और वैदिक नियमों का उल्लंघन बताया है। वहीं, विपक्षी पार्टियां भी कह रही है कि बीजेपी ने धर्म जैसे मामले को राजनीतिक इवेंट बना दिया है।