द फॉलोअप डेस्क, रांची:
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार अब केंद्रीय एजेंसियों पर नकेल कसने की तैयारी में है। मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की मीटिंग में इस आशय का अहम फैसला लिया गया है। दरअसल, अब केंद्रीय एजेंसियों के समन पर पूछताछ के लिए हाजिर होने से पहले पदाधिकारियों को संबंधित विभाग के माध्यम से कैबिनेट को सूचित करना होगा। इसके बाद कैबिनेट तय करेगा कि हाजिर होना है या नहीं। हेमंत सरकार के इस फैसले को ईडी सहित अन्य एजेंसियों पर नकेल कसने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। बता दें कि झारखंड में फिलहाल ईडी, सीबीआई और आईटी जैसी एजेंसियों की लगातार कार्रवाई जारी है। ईडी झारखंड में मनरेगा, खनन और जमीन घोटाले की जांच कर रही है।
सरकार ने कैबिनेट में क्या फैसला लिया है
इस आशय के लिए जारी पत्र में सरकार ने कहा कि हमारे संज्ञान में कई ऐसे मामले आए जबकि राज्य के बाहर की जांच एजेंसियों ने राज्य सरकार के सक्षम प्राधिकार को सूचित किए बिना पदाधिकारियों को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया। कई बार एजेंसियां सरकारी दस्तावेज या अभिलेखों की मांग भी करती है। पदाधिकारी अपने वरीय अधिकारी या विभागीय प्रधान (सचिव, निदेशक) को सूचित किए बिना ही सरकारी दस्तावेज या अभिलेख एजेंसी को सौंप देते हैं जो नियमानुकूल नहीं है। इससे संबंधित विभाग में भ्रम की स्थिति पैदा होती है। सरकारी काम बाधित होता है। इसकी संभावना भी रहतीहै कि जो सूचना उपलब्ध कराई गई है वह अपूर्ण या असंगत हो। यह तालमेल को भी प्रभावित करता है। ऐसे में एक निश्चित प्रक्रिया की जरूरत है।
हेमंत सरकार ने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए भ्रष्टाचार निरोध ब्यूरो (ACB) है। इसका प्रशासनिक नियंत्रक मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग है। अब विधिसम्मत कार्रवाई में सहयोग के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग को राज्य सरकार नोडल विभाग नामित किया जाना चाहिए। अब किसी पदाधिकारी को समन होता है तो वे विभागीय प्रधान को सूचित करेंगे। विभागीय प्रधान नोडल विभाग को इसकी जानकारी देंगे। मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग विधिक परामर्श करेंगे। इसके बाद ही कोई फैसला किया जाएगा। इसके बाद एजेंसी को जांच में सहयोग करेंगे।
पिछले 2 वर्षों में कई पदाधिकारियों को हुआ समन
बता दें कि ईडी ने खनन घोटाला केस में हाल ही में साहिबगंज उपायुक्त रामनिवास यादव को समन किया है। उन्हें 15 जनवरी को पूछताछ के लिए रांची स्थित जोनल ऑफिस में उपस्थित होने को कहा गया है। फैसले के मुताबिक अब उपायुक्त को विभाग के माध्यम से कैबिनेट को समन की जानकारी देनी होगी। कैबिनेट के निर्देश पर ही अगला कदम तय होगा। बता दें कि इससे पहले ईडी झारखंड में मई 2022 में तात्कालीन खान सचिव पूजा सिंघल, अप्रैल-मई 2023 में रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन और डीएसपी राजेंद्र दुबे से पूछताछ कर चुकी है। ग्रामीण कार्य विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम से भी ईडी ने पूछताछ की थी। ये तीनों अभी रांची के होटवार जेल में बंद हैं। ईडी ने जमीन घोटाला केस में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी समन किया है।
केंद्रीय एजेंसियों पर निशाना साधते रहे हैं मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और सहयोगी दल कांग्रेस पार्टी के नेता कहते रहे हैं कि केंद्र सरकार, राज्य की महागठबंधन सरकार को परेशान करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जाता है। हाल ही में संपन्न सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि विरोधी राजनीतिक लड़ाई में हारने के बाद केंद्रीय एजेंसियों को आगे करके उसके पीछे छुप जाते हैं। सरकार को जन-कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने से रोका जाता है। ईडी और सीबीआई जैसी संस्थाओं का डर दिखाकर गैर-बीजेपी शासित राज्यों में नेताओं को डराने-धमकाने का प्रयास किया जाता है। अब सरकार का यह फैसले केंद्रीय एजेंसियों पर नकेल लगाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।