द फॉलोअप डेस्क
जर्मनी की लुफ्थांसा एयरलाइंस की एक फ्लाइट में उस वक्त रोमांच और दहशत का मिला-जुला अनुभव हुआ, जब विमान 36 हजार फीट की ऊंचाई पर 10 मिनट तक बिना किसी पायलट के उड़ता रहा। इस दौरान फ्लाइट में 199 यात्री और 6 क्रू मेंबर सवार थे — और सबकी जान एक ऑटोपायलट सिस्टम ने बचाई।
17 फरवरी 2024 को लुफ्थांसा की A321 फ्लाइट फ्रैंकफर्ट से स्पेन के सेविल जा रही थी। उड़ान के दौरान, जब विमान आसमान में 36 हजार फीट की ऊंचाई पर था, उस समय एक हैरान कर देने वाली घटना घटी। प्लेन का को-पायलट अचानक बेहोश हो गया और उसी वक्त कैप्टन वॉशरूम में थे। ऐसे में पूरा प्लेन बिना किसी इंसानी निगरानी के उड़ता रहा — करीब 10 मिनट तक।
कॉकपिट में सिर्फ को-पायलट मौजूद था, जो अचानक अचेत हो गया। कैप्टन ने जब वापस लौटने की कोशिश की, तो कॉकपिट का दरवाज़ा बंद मिला। उन्होंने नियमित सुरक्षा कोड से अंदर घुसने की कोशिश की, लेकिन बेहोश को-पायलट की वजह से दरवाज़ा नहीं खुला। आखिरकार उन्होंने इमरजेंसी ओवरराइड कोड का इस्तेमाल किया, जिससे कुछ सेकंड में दरवाजा खुल गया।
हालांकि इसी बीच को-पायलट को हल्का होश आया और उसने दरवाज़ा खोल दिया। उस वक्त उसकी हालत बेहद खराब थी। स्थिति को समझते हुए कप्तान ने तत्काल फैसला लिया और फ्लाइट को स्पेन के मैड्रिड में इमरजेंसी लैंड करवा दिया। वहां को-पायलट को इलाज के लिए फौरन अस्पताल भेजा गया।
जर्मन न्यूज एजेंसी DPA ने यह जानकारी स्पेन की विमानन दुर्घटना जांच एजेंसी CIAIAC की रिपोर्ट के हवाले से दी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अगर ऑटोपायलट सिस्टम सक्रिय न होता, तो स्थिति कहीं ज़्यादा भयावह हो सकती थी। इस घटना के बाद लुफ्थांसा ने आंतरिक जांच जरूर की, लेकिन उसके नतीजे अब तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि क्या एक अकेला पायलट कॉकपिट में होना पर्याप्त है?