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तिब्बत के नीचे 200 किमी तक फटी इंडियन टेक्टोनिक प्लेट, बढ़ी हिमाचल की ऊंचाई; क्या यही है भूकंप का राज

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द फॉलोअप डेस्क
भारत में लगातार महसूस किए जा भूकंप के झटकों के पीछे वैज्ञानिकों ने एक डराने वाला खुलासा किया है। वैज्ञानिकों की एक स्टडी में यह बात कही गई है कि इंडियन टेक्टोनिक प्लेट फट रही है। वह तेजी से यूरेसियन प्लेट से नीचे जा रही है। जिस कारण हिमालय की ऊंचाई बढ़ रही है। जिस कारण हिमालयन बेल्ट के आसपास के इलाकों में भूकंपों की संख्या भी बढ़ रही है। स्टडी में पाया गया है कि यह दरार जमीनी सतह से 100 किलोमीटर नीचे बन रही है। जिसका असर धरती के केंद्र तक जाएगा।


हिमालय की ऊंचाई बढ़ रही है
वैज्ञानिकों के नए विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट यूरेशिन प्लेट के नीचे जा रही है। जिस कारण भारतीय प्लेट का निचला हिस्सा लगातार मेंटल में धंस रहा है और भारतीय प्लेट फट रही है। जिस कारण ऊपरी यूरेसियन प्लेट उठ रहा है और फैल रहा है। इस वजह से हिमालय की ऊंचाई बढ़ रही है। नीचे हो रहे हलचल से भारतीय टेक्टोनिक प्लेट डिलैमिनेशन (Delamination) की प्रक्रिया से गुजर रही है। यानी दो हिस्सों में बंट रही है। स्टडी में पाया गया है कि यह पूरी प्रक्रिया तिब्बत के नीचे हो रही है।


स्टडी में क्या कुछ आया सामने
इस स्टडी को करने के लिए वैज्ञानिकों ने भारतीय और यूरेशियन प्लेट के टक्कर वाली जगह पर भूकंपीय तरंगें (Seismic Waves) भेजीं। फिर उनसे मिले डेटा से यह स्टडी की गई। भूकंपीय तरंगों ने साफ बताया कि भारतीय प्लेट फट रही है। स्टडी के बाद कई हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं। 

  • तिब्बत के दक्षिण में 90 डिग्री नीचे लिथोस्फेयर-एस्थेनोस्फेयर बाउंड्री है। वहीं पर ये हलचल हो रही है।
  •  यारलंग जांग्बो दरार से 100 km दूर उत्तर की तरफ दरारें बननी शुरू हुई हैं। ये तिब्बत के नीचे हैं। पूर्व की तरफ भारत के नीचे का मेंटल के पास ग्रैविटी के असर से ऊपरी हिस्सा सेपरेट हो रहा है।
  • यादोंग-गुलू और कोना-सांगरी रिफ्ट में हीलियम आइसोटोप की तीव्रता बढ़ी है। यानी धरती के केंद्र से हीलियम आ रहा है। इसके अलावा इस इलाके में लगातार भूकंप आ रहे हैं। जिससे भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और तेजी से टूट रही है। 

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