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पड़ताल : कांग्रेस ने जिस मुद्दे पर देशभर में किया प्रदर्शन, जानिए! क्या है वो नेशनल हेराल्ड केस

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डेस्क: 

नेशनल हेराल्ड केस में ईडी द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी से हो रही पूछताछ और इसी कड़ी में दिल्ली पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के खिलाफ देशभर में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन जारी है। झारखंड सहित देश के तकरीबन सभी राज्यों में कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं। गुरुवार को राजधानी रांची में झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राजेश ठाकुर की अगुवाई में कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मोरहाबादी मैदान से केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए मार्च निकाला।

इन्हें राजभवन का घेराव करना था लेकिन राजभवन से कुछ दूर पहले ही पुलिस ने इनको लॉ एंड ऑर्डर का हवाला देकर रोक लिया। पुलिस द्वारा बैरिकेडिंग किए जाने के बाद राजेश ठाकुर, पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी, पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव और प्रवक्ता राजीव रंजन, समर्थकों के साथ सड़क पर बैठ गये। महिला कार्यकर्ता भी सड़क पर बैठ गईं। वहीं केंद्र के खिलाफ नारेबाजी की।

 

देश के तकरीबन सभी राज्यों में प्रदर्शन
इस बीच तेलांगना, आंध प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और राजस्थान सहित कई अन्य राज्यों से भी तस्वीरें सामने आईं जहां कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ईडी की कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन किया। रांची में राजेश ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से लोगों का ध्यान भटकाने तथा विपक्ष की आवाज दबाने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि केंद्र सरकार मनमानी और तानाशाही पर उतर आई है। प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि क्यों केवल प्रतिपक्ष के नेताओं पर ही जांच एजेंसियां कार्रवाई करती है।

 

नेशनल हेराल्ड मामला दरअसल क्या है! 
ये तो हो गई ईडी की कार्रवाई के खिलाफ कांग्रेस के प्रदर्शन की बात। दर्शकों के लिए ये जानना भी बेहद जरूरी है कि नेशनल हेराल्ड मामला दरअसल है क्या। केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी का कनेक्शन क्या है। क्यों ईडी की टीम राहुल गांधी से पूछताछ कर रही है। ये पूरा मामला शुरू कब हुआ था। ये सबकुछ आपको इस वीडियो में सिलसिलेवार ढंग से बताएंगे। 

9 सितंबर 1938 को शुरू हुआ था नेशनल हेराल्ड
दरअसल मामला आजादी से पहले का है। 20 नवंबर 1937 को एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड की स्थापना हुई। कंपनी के रूप में इसका पंजीकरण किया गया। 9 सितंबर 1938 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड अखबार की नींव रखी।

इस अखबार में अक्सर जवाहरलाल नेहरू के लेख छपा करते थे। कहते हैं कि आजादी की लड़ाई को धार देने के उद्देश्य से नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत की गई थी। इसकी टेगलाइन थी। फ्रीडम इज इन पेरिल, डिफेंड इट विद ऑल योर माइट। इसका हिंदी मतलब हुआ।

आजादी संकट में है। अपनी पूरी ताकत से इसकी रक्षा कीजिए। इसमें ब्रिटिश सरकार की नीतियों की खुलकर आलोचना की जाती थी। जाहिर है कि ये बात ब्रिटिश सत्ता को पसंद नहीं आती। 

भारत छोड़ो आंदोलन के वक्त लगा था प्रतिबंध
1942 में महात्मा गांधी के आह्वान पर भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ। आंदोलन को धार देने में नेशनल हेराल्ड भी अहम भूमिका निभा रहा था। ब्रिटिश सरकार ने 1942 से लेकर 1945 तक के लिए नेशनल हेराल्ड पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि बाद में बैन हटा लिया गया। अखबार चलता रहा। के रामाराव, मणिकोंडा चलपति राव, खुशवंत सिंह और सुभारत भट्टाचार्य जैसे लोग इस अखबार के संपादक रहे। 84 साल पुराने इस अखबार के मौजूदा संपादक जफर आगा हैं। ये अखबार साप्ताहिक है। 

2008 में वित्तीय नुकसान की वजह से प्रकाशन बंद
नेशनल हेराल्ड के लिए बुरे दिन शुरू हुए साल 2008 से। साल 2008 में अखबार के संचालन के दौरान एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड को भारी वित्तीय नुकसान हुआ। इसकी वजह से अखबार का संचालन बंद करना पड़ा। इसके ठीक 2 साल बाद यानी नवंबर 2010 में यंग इंडिया नाम की नई कंपनी बनी। इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी थी।

दिसंबर 2010 में पता चला कि एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के ऊपर कांगेस का 90 करोड़ रुपये बकाया है। 1 साल बाद यानी फरवरी 2011 में कांग्रेस ने एजेएल की 90 करोड़ रुपये की देनदारियों का जिम्मा लिया। इसका मतलब ये हुआ कि कांग्रेस पार्टी ने एजेएल को 90 करोड़ रुपये का लोन दिया।

2011 में ही यंग इंडिया लिमिटेड ने 90 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार को हासिल करने के लिए एजेएल को 50 लाख रुपये का भुगतान किया। आरोप है कि यंग इंडिया ने 50 लाख के बदले एजेएल का पूरा कर्जा माफ किया और कंपनी को अपने नियंत्रण में ले लिया। 

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दर्ज की शिकायत
1 नवंबर 2012 को इस मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी की एंट्री होती है। उन्होंने दिल्ली की एक अदालत में निजी तौर पर शिकायत दर्ज कराई। आरोप लगाया कि राहुल और सोनिया गांधी ने निजी कंपनी यंग इंडिया के माध्यम से एजेएल का जिस प्रकार अधिग्रहण किया वो धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है। वित्तीय अनियमितता बरती गई है। स्वामी ने जमीन हथियाने का भी आरोप लगाया।

एक दिन बाद ही यानी 2 नवंबर 2012 को कांग्रेस का इस पर जवाब आया। कांग्रेस ने अपनी सफाई में कहा कि नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन दोबारा शुरू करने के लिए एजेएल को लोन दिया गया था। हालांकि, आरोपों पर 2014 में प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू की।

ईडी जानना चाहती है कि मामले में कहीं भी किसी परिस्थिति में मनी लाउंड्रिंग हुई है या नहीं। जांच शुरू हुए 8 साल बीत चुके हैं। जांच कभी धीमी पड़ती है तो कभी अचानक सुर्खियां बन जाती है, जैसा कि अभी हुआ। फिलहाल, ईडी की कार्रवाई और कांग्रेस की इस पर प्रतिक्रिया से पूरे देश में उबाल है।

 

1 जून को ईडी ने सोनिया-राहुल को समन किया
ताजा प्रकरण की बात करें तो 1 जून 2022 को ईडी ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी को पूछताछ के लिए समन जारी किया। इस बीच सोनिया गांधी कोरोना पॉजिटिव हो गईं। फिलहाल वो पोस्ट कोविड समस्याओं से जूझ रही हैं और उनका इलाज किया जा रहा है। उन्होंने ईडी से वक्त मांगा है जोकि उनको मिला। राहुल गांधी 13 जून को ईडी के सामने हाजिर हुए। उनसे 3 दिन तक पूछताछ हो चुकी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक राहुल गांधी से 22 घंटे से भी ज्यादा वक्त तक पूछताछ हुई।