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देवघर : ये हैं "ग्रेजुएट चायवाली", कुल्हड़ में सोंधी चाय परोसती हैं एमए तक पढ़ाई कर चुकीं राधा

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देवघर: 

ये पोस्टर देखिए। लिखा है। पोस्ट ग्रेजुएट चायवाली। चाय कुल्हड़ में ही पीजिए। देश की मिट्टी को चूमने का मौका मिलेगा। सड़क किनारे बनी इस चाय की टपरी की मालकिन का  नाम राधा यादव है। शाहरुख खान की फिल्म रईस का फेमस डायलॉग है। कोई भी धंधा छोटा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। पोस्ट ग्रेजुएट चायवाली राधा यादव का भी यही कहना है। झारखंड के देवघर जिला अंतर्गत एक किसान परिवार की बेटी राधा यादव को जब कई प्रयासों के बाद भी नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने आत्मनिर्भर बनने का फैसला किया। घर में रोज सुबह बनने वाली चाय का नुस्खा लिया और खोल दी टपरी।

मिट्टी की कड़ाही में उबलती है चाय
टपरी में राधा ने वोकल फॉर लोकल को जगह दी है। चाय मिट्टी की कड़ाही में उबलती है और सोंधी महक के साथ मिट्टी के ही कुल्हड़ में परोसी जाती है। राधा यादव कहती हैं कि मैं चाय वैसे ही बनाती हूं जैसे घर में मां, दादी या नानी बनाती हैं। मैं चाय उबालने के लिए मिट्टी की कड़ाही का इस्तेमाल करती हूं। इससे चाय में एक सोंधी महक आती है। प्लास्टिक या सिंथेटिक कप का इस्तेमाल नहीं करती बल्कि मिट्टी की कुल्हड़ में ही चाय परोसती हूं। राधा की टपरी पर एक कुल्हड़ चाय 10 रुपये की मिलती है। लोगों को चाय पसंद आ रही है। ग्रेजुएट चायवाली की टपरी पर चाय पीने पहुंचे एक शख्स ने कहा कि चाय का स्वाद बेजोड़ है। एक कप की कीमत कम से कम 20 रुपये होनी चाहिए। मैं बच्ची की हिम्मत की दाद देता हूं।

 

नौकरी नहीं मिली तो खोल ली दुकान
अपने स्टार्टअप को लेकर राधा यादव ने कहा कि मैंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। कई प्रतियोगिता परीक्षाओं में शामिल हुई लेकिन सफलता नहीं मिली। ऐसे में मैंने अपना काम शुरू करने का फैसला किया। सुबह हो, शाम हो या दोपहर। दोस्तों के साथ वक्त बिताना हो या थकान मिटानी हो, लोग चाय पीना पसंद करते हैं। घर में परिवार के सदस्यों के लिए चाय बनाती ही थी। तो चाय का ही स्टार्टअप शुरू किया। राधा का मानना है कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। पढ़े-लिखे होने का मतलब केवल सरकारी नौकरी पाना ही नहीं होता। हम अपने हुनर का इस्तेमाल कर कोई भी काम शुरू कर सकते हैं। जीवन-निर्वाह के लिए कोई भी काम किया जा सकता है। मैं किसी भी काम को छोटा नहीं मानती हूं। खुश हूं कि लोगों को चाय पसंद आ रही है। 

लड़कियों की प्रेरणा बनना चाहती हैं राधा
क्या परिवार को पता है? इस सवाल के जवाब में राधा ने कहा कि मेरे पिता किसान हैं। मां गृहिणी है। घर में छोटे भाई-बहन हैं। अभी तो पिताजी को नहीं पता लेकिन मां काफी सर्पोटिव हैं। बहनों ने भी कहा कि तुम अपना काम करो। हमलोग साथ हैं। मैंने बायला महिला कॉलेज के बाहर अपनी चाय की टपरी लगाई है। यहां ज्यादातर लड़कियां हैं तो सुरक्षा की भी चिंता नहीं होती। लड़की की चाय की दुकान में लड़कियां भी सहज महसूस करती हैं। राधा कहती हैं कि मैं चाहती हूं कि लड़कियां मुझसे प्रेरणा ले सके। राधा कहती हैं कि अभी तो शुरुआत की है। अभी मीलों जाना है। उम्मीद है कि कामयाबी मिलेगी।