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Ranchi : राज्यपाल रमेश बैस के दिल्ली दौरे के सियासी मायने क्या हैं! 

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डेस्क: 

झारखंड में दिनों-दिन रिकॉर्ड तोड़ती गर्मी की उतनी चर्चा नहीं है जितनी सुर्खियां प्रदेश की सियासी तपिश बटोर रही है। राज्यपाल रमेश बैस के दिल्ली दौरे ने इस तपिश को और बढ़ा दिया है।

सियासी गलियारों में चर्चा है कि, बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व उन तमाम संभावनाओं को टटोल रहा है जिसके जरिये सत्ता का द्वार खुल सकता है। गौरतलब है कि अपने दिल्ली प्रवास के दौरान राज्यपाल रमेश बैस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से अलग-अलग मुलाकात की। 

राज्यपाल के दिल्ली दौरे से चढ़ा सियासी पारा
प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के साथ राज्यपाल की मुलाकात की तस्वीरों ने झारखंड के चढ़ते सियासी पारे में आग में घी का काम किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्यपाल ने पीएम और गृहमंत्री को बताया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर खनन पट्टा का लीज हासिल करने को लेकर सामने आये दस्तावेज उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए पर्याप्त हैं।

इधर, केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव से मुख्यमंत्री पर लगे आरोपों को लेकर जो रिपोर्ट मांगी थी, वो उन्हें सौंपी जा चुकी है।

केंद्रीय निर्वाचन आयोग के पाले में हैं गेंद
अब गेंद केंद्रीय निर्वाचन आयोग के पाले में है।

आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनका पक्ष मांगा है। इसके बाद आयोग फैसला करेगा कि सीएम के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के तहत ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बनता है या नहीं। इधर झारखंड बीजेपी की आक्रामता और गतिविधियां देखकर ऐसा लगता है मानों, उनको भानुमति का पिटारा मिल गया है।

भानुमति का पिटारा यानी झारखंड की सियासत। मामला बस कुंजी पर अटका है। 

बाबूलाल मरांडी और दीपक प्रकाश का दिल्ली दौरा
राज्यपाल से पहले बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश भी अलग-अलग जाकर हाईकमान से मुलाकात कर चुके हैं।

कहा जा रहा है कि झारखंड के इन दोनों दिग्गजों ने दिल्ली जाकर, पार्टी हाईकमान को झारखंड की ताजा सियासत से रूबरू करवाया। झारखंड की सियासत में कानाफूसी चल रही है कि, उसी मुलाकात का नतीजा है कि, बीजेपी झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आई है। आश्चर्यजनक रूप से मुद्दा बिजली और पानी को बनाया है। 

बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन पर बोला हमला
इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, बाबूलाल मरांडी और प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश मुख्यमंत्री और उनके परिवार पर हमला बोलने का कोई मौका नहीं छोड़ते।

आक्रामकता की पराकाष्ठा देखिये कि दुमका में बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बहुरूपिया और सोरेन परिवार को फ्रॉड बता दिया। कुछ दिन पहले रघुवर दास ने मुख्यमंत्री पर अपनी पत्नी को औद्योगिक जमीन आवंटित करने का आरोप लगाया। दीपक प्रकाश बिजली और पानी के मसले पर लगातार निशाना साध रहे हैं।

कुल मिलाकर, झारखंड बीजेपी झामुमो-कांग्रेस गठबंधन सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। 

सत्ता परिवर्तन की उम्मीद में उत्साहिस बीजेपी
सत्ता परिवर्तन की जितनी ललक बीजेपी नेताओं में दिख रही है उससे कहीं ज्यादा बेचैनी झामुमो और कांग्रेस में भी है। हाल ही में झामुमो, कांग्रेस और आरजेडी का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल रमेश बैस से मिला। आरोप लगाया कि बीजेपी झारखंड में गठबंधन सरकार को अस्थिर करना चाहती है।

ज्ञापन सौंपकर कहा कि मुख्यमंत्री पर लगा खनन पट्टा लीज का आरोप, ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री खुद इस मामले में कह चुके हैं कि उन्होंने खनन पट्टा को सरेंडर कर दिया है, मतलब स्वीकार भी किया है कि उन्होंने इसे हासिल किया था। 

तेजी से अंगड़ाई ले रही है कि झारखंड की सियासत
कुल मिलाकर झारखंड की सियासत तेजी से अंगड़ाई ले रही है। सियासी पंडितों का मानना है कि मसला लगातार करवटें बदल रहा है। इससे उपजी राजनीतिक सिलवटें अलग-अलग मुलाकातों की तस्वीरों, बयानों और आरोप-प्रत्यारोपों में झलक रही है।

इस बीच झारखंड की बत्ती तो गुल है ही, गठबंधन सरकार की बत्ती गुल करने की भी कवायद चल रही है। जोर-आजमाइश जारी है। सियासत के इस शतरंज में किसे शह मिलेगी और किसे मात, ये इंतजार का मसला है।