डेस्क:
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने जबसे ऐलान किया है कि वो राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (NDA Candidate Draupadi Murmu) का समर्थन करेगा। सुना है कांग्रेस कार्यालय (Congress Office) में सन्नाटा पसरा है, लेकिन महसूस करने वाले दिल टूटने की आवाज सुन सकते हैं। सुना है कि बारिश हो रही है और कांग्रेस पार्टी कार्यालय में कबसे लूप में एक ही गाना बज रहा है। जग सुना-सुना लागे छन से टूटे जो कोई सपना। यही नहीं। कुछ नेताओं ने दोस्त दोस्त ना रहा, प्यार प्यार ना रहे सुनने की भी फरमाइश की है।
झामुमो ने झारखंड कांग्रेस को जगह दिखा दी
राज्यसभा चुनाव के बाद राष्ट्रपति चुनाव में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) ने कांग्रेस को उसकी जगह दिखा दी है। जो कुछ देर पहले तक सिर्फ कयासों में था, गुरुवार शाम 5 बजे आधिकारिक तौर पर स्पष्ट हो गया। झामुमो ने ऐलान कर दिया है कि राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) का समर्थन करेगा। इस ऐलान के बाद कांग्रेस सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रही है। लोग पूछ रहे हैं, ताने दे रहे हैं, कह रहे हैं कि कांग्रेस बताए कि झामुमो गांधी के रास्ते पर है या गोडसे की राह पर. कांग्रेस चुप है, बेबस है, मजबूर है. खुद को लूटते हुए देखने के अलावा प्रदेश कांग्रेस के पास कोई विकल्प नहीं है।
राज्यसभा चुनाव से राष्ट्रपति चुनाव तक मिला धोखा!
राज्यसभा चुनाव के दौरान झारखंड कांग्रेस ने झामुमो को आंख दिखाने की कोशिश की थी। नतीजा आपको मालूम है। प्रभारी अविनाश पांडेय (Avinash Pandey) और दिल्ली के नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस को खामोश कर दिया था। नौबत ये आन पड़ी की आंख तरेरने वाले नेता सीएम आवास जाकर अगले ही दिन आंख झुकाए नजर आए। मजबूरी का आलम ये था कि राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवारी के सवाल पर झारखंड कांग्रेस ना केवल खामोश रही बल्कि जब महुआ माजी को निर्विरोध जीत का सर्टिफिकेट मिला तो
चेहरे पर नकली मुस्कुराहट लाकर पार्टी नेताओं को चियर भी करना पड़ा। जब पूछा गया कि हाउज द जोश। बिचारे कह ही नहीं पाई। हाई सर।
फिलहाल आलाकमान के निर्देश का इंतजार है
पिछली दुर्दशा देखकर प्रदेश कांग्रेस फिलहाल कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है। कुछ भी कहने से बच रही है। इंतज़ार आलाकमान के फैसले का है और आलाकमान जिस गति से फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। स्पष्ट है उन्हें यह तकलीफ भी नहीं उठानी पड़ेगी। उसके पहले ही झामुमो अपनी इसी गति से मंजिल तक पहुंच जाएगा। आप दर्शक जो यह देख रहे हैं, मालूम है कि झामुमो की मंजिल क्या है।
आज के फैसले का प्लॉट था पिछला घटनाक्रम
दरअसल, बीते कुछ दिनों का घटनाक्रम आज के फैसले का प्लाट था। मुख्यमंत्री का दिल्ली जाना। गृहमंत्री (Home Minister Amit Shah) से मुलाकात करना। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के तहत चुनाव आयोग में होने वाली सुनवाई को लेकर तारीख पर तारीख मिलते जाना। देवघर दौरे में पिछले डेढ़ साल से आग उगलते मुख्यमंत्री का प्रधानमंत्री के सामने रिमझिम बारिश बन जाना। समझने वालों को तो लग ही रहा था कि लुका-छिपी जल्दी ही खुल्लम-खुल्ला प्यार के रूप में सामने आयेगा। देखिये अब आ ही गया। बेवफाई झेल रही कांग्रेस के ऑफिस में उधर सैड सांग बज रहा है। बारिश ने माहौल भी बना दिया है।
झारखंड कांग्रेस के साथ सियासत में विश्वासघात
धोखा, विश्वासघात, चीटिंग और बेवफाई। इन सारे शब्दों का मतलब झारखंड कांग्रेस को बीते 2 महीने में बखूबी समझ आया है। राज्यसभा चुनाव का समय याद कीजिए। उस समय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिल्ली जाकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी।
मुलाकात के बाद मीडिया से मुखातिब मुख्यमंत्री बोले थे कि बातचीत सकारात्मक रही। इसे झामुमो का लव लेटर समझकर झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर फौरन बोले। आ रही है कांग्रेस। इधर, रांची पहुंचते ही मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि महुआ माजी (Mahua Maji) राज्यसभा में उनकी उम्मीदवार होंगी। ये सुनते ही झारखंड कांग्रेस को झटका लगा।
राजेश ठाकुर के कानों को विश्वास ही नहीं हुआ। बोले। वो झामुमो की उम्मीदवार होंगी। यूपीए की नहीं। झामुमो बोली। हां..तो हमने कब कहा कि यूपीए की उम्मीदवार हैं। राजेश ठाकुर ने कहा कि कोई बात नहीं। सह लेंगे थोड़ा। दिल टूटे हुए आशिक की तरह कांग्रेस बोली। ठीक है। झामुमो को हक है कि वो अपना फैसला ले। इनकी खुशी में ही हमारी खुशी है।
राष्ट्रपति चुनाव में झामुमो का रूख हार्टब्रेकिंग
इधर, जब राष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना जारी हुई। यूपीए ने घटक दलों की मीटिंग बुलाई। झामुमो के नुमाइंदे भी इसमें गये। यशवंत सिन्हा यूपीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार बने। तभी, बीजेपी ने झारखंड की राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार घोषित किया। झारखंड की सियासत में एक बम सा फटा। बीजेपी ने झामुमो को धर्मसंकट में डाल दिया। द्रौपदी मुर्मू पहले तो झारखंड की राज्यपाल रह चुकी थीं। दूसरा कि वो आदिवासी हैं। यही नहीं, संताल आदिवासी समाज से आती हैं। सोरेन परिवार पर दोहरा धर्मसंकट।
झामुमो कुछ कहती। उससे पहले ही दिल टूटने की आशंका के बीच कांग्रेस बोली। हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गठबंधन धर्म का पालन करेंगे। झामुमो ने चुप्पी साध रखी थी। तभी, यशवंत सिन्हा ने नामांकन किया लेकिन झामुमो का प्रतिनिधि इसमें नहीं गया। कांग्रेस का दिल और बैठ गया।
मुख्यमंत्री दिल्ली गये। गृहमंत्री से मिले। कांग्रेस के दिल में अब थोड़ी दरार भी आ गयी। 4 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू रांची आईं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन से मिलीं। मुलाकात की तस्वीरें सामने आते ही दिल का दरार बढ़ गया। बोली, झामुमो की विचारधारा यूपीए से मेल नहीं खाती। और अब जबकि पक्का ऐलान हो गया। सुना है। कांग्रेस कार्यालय में बीते कई घंटों से यही गाना बज रहा है। दिल सुना-सुना लागे। छन से टूटे जो कोई सपना। लूप में दोस्त दोस्त ना रहा। प्यार प्यार ना रहा भी बज रहा है।