द फॉलोअप डेस्क
बिहार में स्वास्थ्य विभाग सीएम नीतीश कुमार की परिकल्पना पर बनाए गए प्रदेश के इकलौते राजेंद्र नगर अतिविशिष्ट नेत्र रोग अस्पताल को निजी हाथों में देने की तैयारी में है। फिलहाल, इसे लेकर कुछ निजी अस्पतालों के साथ बातचीत चल रही है।
4 साल में चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं हुई
बता दें, इस अस्पताल के नए भवन का उद्घाटन साल 2020 में कोरोना महामारी के वक्त हुआ था। उस समय जब आइसोलेशन के लिए बेड कम पड़ गए थे, तो रोगियों को इस अस्पताल में रखा गया था। लेकिन उद्घाटन के बाद से ही यहां निदेशक के अलावा किसी भी स्थायी डॉक्टर या चिकित्साकर्मियों की नियुक्ति नहीं हुई।
वहीं, वर्तमान में यह अस्पताल प्रभारी निदेशक के अलावा केवल 4 प्रतिनियुक्त डॉक्टर और 4 चार डॉक्टरों के सहारे चल रहा है। फिर भी हर दिन यहां करीब 4-5 लोगों की मोतियाबिंद की सर्जरी के साथ कई महंगी जांचें मुफ्त में की जा रही है।
प्रदेश का बड़ा अस्पताल बन सकता है
जानकारी हो, यहां हर दिन औसतन 300 से अधिक मरीज OPD सेवा का लाभ लेते हैं। इसे लेकर कर्मचारियों का कहना है कि अगर इस अस्पताल में बेड की संख्या के अनुसार चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों की नियुक्त हो, तो यह प्रदेश का बड़ा अस्पताल बन सकता है।
प्राइवेट अस्पताल के चिकित्सक और पदाधिकारी ने किया निरीक्षण
मिली जानकारी के अनुसार, रविवार को बेंगलुरू स्थित एक प्राइवेट अस्पताल के चिकित्सक और पदाधिकारी इसका निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग से मिले निर्देश पर प्रभारी निदेशक डॉ अजीत कुमार द्विवेदी ने टीम को सभी 6 माड्युलर ओटी समेत 106 बेड का पूरा अस्पताल घुमाया।