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इन पर है नाज : बिना कोचिंग किये बिहार की ये बेटी बनी IAS, दूसरे प्रयास में हासिल किया 205वां रैंक

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पटना
कभी-कभी कोई कहानी सिर्फ सफलता की नहीं होती, बल्कि उस हौसले की होती है जो हर रुकावट को दरकिनार कर आगे बढ़ने की ज़िद दिखाता है। बिहार की आकांक्षा आनंद की कहानी भी कुछ ऐसी ही है—बिना किसी कोचिंग के, सिर्फ आत्मविश्वास और अनुशासन के सहारे UPSC जैसी कठिन परीक्षा में 205वीं रैंक हासिल कर IAS बनीं आकांक्षा, आज लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं। पटना की रहनेवाली आकांक्षा का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ—पिता स्वास्थ्य विभाग में क्लर्क और माँ एक स्कूल टीचर। सीमित संसाधनों के बावजूद आकांक्षा के घर में पढ़ाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती थी। यही माहौल था जिसने आकांक्षा को सिविल सेवा की ओर मोड़ा और उनके सपनों को पंख दिए।
शैक्षणिक सफर में भी अव्वल
आकांक्षा ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पटना वेटरनरी कॉलेज से की, और सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, यहां भी उन्होंने गोल्ड मेडल के साथ अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। कॉलेज के दौरान ही उन्होंने तय कर लिया था कि उनका अगला लक्ष्य UPSC है—और इसके लिए उन्होंने खुद को पूरी तरह झोंक दिया। UPSC की तैयारी में जहां अधिकतर उम्मीदवार महंगी कोचिंग पर निर्भर होते हैं, वहीं आकांक्षा ने एक अलग रास्ता चुना। उन्होंने self-study को अपना हथियार बनाया। यूट्यूब टॉपर्स की इंटरव्यू, सरकारी वेबसाइट्स, NCERT किताबें, PIB, और ‘The Hindu’ जैसे अखबार—इन सभी से उन्होंने अपने नोट्स बनाए और अपनी तैयारी को दिशा दी। उन्होंने दिखा दिया कि सही मार्गदर्शन और निरंतरता के साथ आत्मअध्ययन भी उतना ही असरदार हो सकता है।
पहले प्रयास में असफलता, लेकिन हार नहीं मानी
आकांक्षा का पहला प्रयास असफल रहा, प्रीलिम्स भी पार नहीं कर सकीं। मगर उन्होंने इसे अंत नहीं माना, बल्कि इसे एक सीख की तरह लिया। अपनी कमजोरियों को पहचाना, रणनीति बदली, और पूरे आत्मविश्वास के साथ दोबारा तैयारी शुरू की। दूसरे प्रयास में उन्होंने न सिर्फ UPSC परीक्षा पास की, बल्कि 205वीं रैंक हासिल कर IAS बनने का सपना पूरा किया।
सफलता के साथ ज़िम्मेदारी भी निभाई
यूपीएससी के इंटरव्यू के वक्त आकांक्षा पहले से ही बिहार सरकार में वेटरनरी ऑफिसर के पद पर नियुक्त हो चुकी थीं। पोस्टिंग थी सीतामढ़ी में, और इंटरव्यू की तारीख उसी दौरान थी। लेकिन आकांक्षा ने दोनों भूमिकाएं पूरी ईमानदारी से निभाईं—एक ओर सरकारी सेवा, दूसरी ओर अपने सपने की आखिरी सीढ़ी। आकांक्षा आनंद की यह यात्रा हमें बताती है कि मंज़िल पाने के लिए साधन नहीं, संकल्प चाहिए। बिना कोचिंग के UPSC पास करने वाली आकांक्षा सिर्फ एक नाम नहीं, एक उदाहरण हैं—उस जुनून और हिम्मत का जो सीमाओं को तोड़ता है और अपने दम पर इतिहास रच देता है।

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