रांची
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार द्वारा देशव्यापी जातीय जनगणना कराने के फैसले का स्वागत किया है और इसे समाजवादी आंदोलन, लालू प्रसाद यादव और पिछड़े वर्गों की ऐतिहासिक जीत बताया है। तेजस्वी ने दावा किया कि यह मांग पिछले 30 वर्षों से उठाई जा रही थी, और आज केंद्र को वही करना पड़ रहा है जो कभी वह नकारता था। तेजस्वी यादव ने कहा, “यह हमारे पुरखों की जीत है, समाजवादियों की जीत है, लालूजी की जीत है। 1996-97 में ही कैबिनेट में प्रस्ताव पास हुआ था कि 2001 की जनगणना में जाति आधारित गिनती होनी चाहिए, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इसे नहीं होने दिया। 2017 में जब बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी, तब हमने पहली बार राज्यस्तरीय जातीय सर्वे कराया। उसी आधार पर बिहार में आरक्षण को 65% तक बढ़ाया गया।”
तेजस्वी ने प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि पहले तो संसद में जातीय जनगणना को लेकर मना कर दिया गया था, लेकिन अब जब केंद्र खुद यह कर रही है तो यह साफ है कि यह हमारी मांग और एजेंडे की ताकत है। उन्होंने कहा, “अब हमारी अगली लड़ाई यह होगी कि जब जनगणना के आंकड़े आएं, तो उसी आधार पर देशभर में पिछड़ा और अति-पिछड़ा वर्ग के लिए भी विधानसभा और लोकसभा में आरक्षण तय किया जाए, जैसे कि दलितों और आदिवासियों के लिए होता है।”
तेजस्वी यादव ने केंद्र से यह भी मांग की कि बिहार सरकार द्वारा प्रस्तावित 75% आरक्षण को संसद के विशेष सत्र में पास करके अनुसूची 9 (Schedule 9) में डाला जाए, ताकि यह कानूनी अड़चनों से बच सके। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पहले इस पहल को अदालत में उलझाया, लेकिन अब जनता सब जानती है।
उन्होंने कहा कि अगर वास्तव में गरीबों को मुख्यधारा में लाना है तो जातीय आंकड़े के आधार पर ही बजट और कल्याणकारी योजनाएं बनानी होंगी। “जब तक आपके पास वैज्ञानिक डाटा नहीं होगा, तब तक सही योजना नहीं बन सकती। कौन लोग भूमिहीन हैं, कौन नाली साफ करते हैं, उन्हें बिना आंकड़ों के कैसे मदद मिलेगी?” तेजस्वी ने सवाल उठाया। अंत में तेजस्वी ने कहा, “अब केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को एक कदम और आगे बढ़ाना होगा। बजट, योजना और आरक्षण— सब कुछ डाटा पर आधारित हो। यही असली न्याय है और यही हमारी लड़ाई की अगली दिशा होगी।”