पटना:
पटना हाईकोर्ट में गायघाट रिमांड होम मामले में वर्चुअल सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा है कि मामले की जांच डीएसपी स्तर की किसी महिला पुलिस अधिकारी को करनी चाहिये। कोर्ट का कहना है कि महिला अधिकारी के जांच करने से पीड़िता सहज होकर सारी बात बता सकेगी। पटना हाईकोर्ट ने साफ निर्देश दिया है कि केस को लेकर जांच टीम का गठन किया जाना चाहिए। टीम का नेतृत्व किसी डीएसपी स्तर की महिला अधिकारी को सौंपी जाये। एक अन्य महिला अधिकारी टीम में शामिल किया जाये।
महिला विकास मंच लगातार उठा रहा आवाज
गौरतलब है कि पटना स्थित गायघाट रिमांड होम केस के सामने आने के बाद महिला विकास मंच लगातार पीड़िता को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रहा है। गौरतलब है कि मामला पटना हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है। शनिवार को पटना हाईकोर्ट में समाज कल्याण विभाग सहित तमाम विभागों को अपने-अपने हलफनामे रिकॉर्ड पर लाने को कहा गया है। इसमें पीड़िता द्वारा 4 फरवरी 2022 का बयान भी शामिल किया जाना चाहिये।
महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है
पटना हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरका के महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि दोनों पीड़िताओं के बयान पर महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। गौरतलब है कि पटना के गायघाट रिमांड होम में लड़कियों को नशीला पदार्थ देकर उनके साथ यौन शोषण करने का मामला सामने आया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत संज्ञान लिया।
बता दें कि गायघाट रिमांड होम से भागी एक युवती ने शेल्टर होम की संचालिका वंदना गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाया है। कहा है कि वहां लड़कियों का शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है।
बच्चियों के साथ किया जाता था यौन हिंसा
पीड़िता ने आरोप लगाया है कि बच्चियों को नशे का इंजेक्शन लगाकर अवैध संबंध बनाने को विवश किया जाता है। आरोपों की जांच की जा रही है। कोर्ट ने सरकार को भी फटकार लगाई है। मामले में एक पूर्व आईपीएस ने भी राज्यपाल को चिट्ठी लिखी है। आरोप लगाया है कि कई मंत्रियों के यहां भी लड़कियों को भेजा जाता था।
पीड़िता ने कहा था कि रिमांड होम संचालिका वंदना गुप्ता खूबसूरत लड़कियों को अपनी फेवरेट बना लेती थीं। लड़कियों को अधिकारियों और नेताओं के यहां धंधा करने भेजा जाता था।