द फॉलोअप डेस्कः
बिहार के सीतामढ़ी लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने पार्टी के एक कार्यक्रम में यादव और मुसलमानों को लेकर बड़ी बात कह दी। सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि मैं पिछले 22 साल से राजनीति में सक्रिय हूं। इस दौरान मैंने मुसलमानों और यादवों के लिए सबसे अधिक काम किया है, लेकिन अब मैं स्पष्ट रूप से बताता हूं कि इनके लिए काम नहीं करूंगा। अगर इस समाज के लोग मेरे पास अपना काम करवाने के लिए गुहार लेकर आते हैं तो जरूर आएं। मैं उनको चाय नाश्ता कराऊंगा। चाय नाश्ता करके वे वापस चले जाएं, मैं उनका काम नहीं करूंगा।
"मेरे पास एक मुस्लिम व्यक्ति अपना काम करवाने आए थे, भले व्यक्ति थे। मैंने उनसे पूछा अभी-अभी जो इलेक्शन हुआ उसमें आपने लालटेन को ही वोट दिया होगा। उन्होंने कहा जी सर लालटेन को ही दिए हैं। हमने कहा फिर भी आप हिम्मत करके मेरे पास आए हैं। मैंने पूछा आप किस विचार से आए हैं। मैंने कहा आपके लिए चाय मिठाई मंगवाता हूं। उसके बाद आपको मैं दुआ सलाम करके वापस भेज दूंगा लेकिन आपका काम नहीं करूंगा"
उन्होंने आगे कहा कि जब यादव और मुसलमान वोट डालते हैं तो तीर का अगर बटन दबाएंगे तो पीएम मोदी का चेहरा दिखता है, इसलिए उनलोगों ने लालटेन दबाया। तो यही बाात है तो काम करते समय मैं आपके चेहरे पर लालू जी का और लालटेन का चेहरा क्यों ना देखूं? कैसे मैं उनका काम करूं। मैं नहीं कर सकता हूं। मैं पहली बार ऐसा कर रहा हूं. 70 साल की उम्र में पहली बार कर रहा हूं और आगे भी करूंगा। यादव मुस्लिम भाई जरूर आइये, चाय पीजिए, आपका स्वागत है। लेकिन काम के बारे में मत बोलिए, मैं आपका काम नहीं करूंगा।
वहीं इस बयान को लेकर विपक्ष का हमला जारी है। आरजेडी ने अपने सोशल मीडिया एक्स के आधिकारिक अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा है कि जदयू सांसद ये महाशय नीतीश कुमार के चेहते नए-नवेले सांसद हैं। सबसे कम आबादी से संबंध रखने वाला यह सांसद बिहार की 32 फ़ीसदी आबादी को ठेंगा दिखा रहा है। कल को दूसरे वर्ग वोट नहीं करेंगे तो उनके प्रति भी इसका यही दुर्भाव रहेगा?
इनका यह बयान संविधान और पद के प्रति इनकी शपथ की धज्जियां उड़ा रहा है। समाज में विभाजन पैदा कर राज करना ही प्रदेश की तीसरे नंबर की पार्टी जदयू का असल चरित्र है और ऐसे लोग ही नीतीश कुमार की कैबिनेट के अहम सदस्य हैं। इन लोगों को पता होना चाहिए बिहार विधानसभा चुनाव बेईमानी से जीते थे वो भी महज़ 12 हजार वोट से। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रदेश की 70 फ़ीसदी आबादी को ये संकीर्ण मानसिकता वाले जातिवादी लोग हमेशा घृणा की दृष्टि से देखते हैं।