पटना:
राष्ट्रपति चुनाव-2022 को लेकर पूरे देश में सियासत गर्म है। इस बार NDA ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। उम्मीदवार की घोषणा के बाद एनडीए को एकजुट करने की कोशिश शुरू की गई थी। असर अब बिहार NDA में भी देखने को मिल रहा है। राष्ट्रपति चुनाव बिहार एनडीए के लिए शुभ संकेत दिख रहा है।
2020 के बाद बिहार में एनडीए में तनाव देखने को मिल रही थी लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के लिए तमाम घटक दलों ने एक सुर में उम्मीदवार का समर्थन किया है।
बिहार में हम पार्टी से लेकर सत्ताधारी जदयू के साथ लोजपा पार्टी तक सभी दल उम्मीदवार के सहयोग में एकजुट होकर सामने आये हैं।
NDA नेताओ के सुर अलग-अलग से हुए एक
दरअसल, खबर आने लगी थी कि क्या, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू NDA से बाहर चली जाएगी क्योंकि मामला चाहे जनसंख्या नियंत्रण का हो या फिर जातिगत गणना, विशेष राज्य का दर्जा, राष्ट्रपति चुनाव, बिहार में लॉ एंड ऑर्डर या फिर RRB रेलवे भर्ती का मसला हो बिहार में एनडीए के घटक दलों के तेवर अलग ही दिख रहे थे। हाल फ़िलहाल में अग्निपथ योजना के मुद्दे पर NDA नेताओं के सुर अलग-अलग उठने लगे थे। इस बीच इफ़्तार के आयोजन ने भी भाजपा और JDU के बीच की राजनीति को तब गर्मा दिया था, जब नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के बुलावे पर राबड़ी आवास पहुंचे थे।
तेजस्वी यादव भी नीतीश कुमार के बुलावे पर JDU के इफ़्तार में शामिल हुए थे। बात तब और गरमा गई जब जातिगत जनगणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव बंद कमरे में 1 घंटे से ज़्यादा वक्त तक विचार-विमर्श करते रहे।
नीतीश कुमार पर भी अटकलें
बता दें कि कुछ दिनों पहले तक यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार होंगे। इससे NDA में हलचल तेज होने लगी। जिसके बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने जो कदम उठाया उससे बिहार NDA में एकजुटता बढ़ने की तस्वीर दिखाई देने लगी।