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मनीष कश्यप को मिली जमानत; मदुरई कोर्ट ने NSA भी हटाया

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द फॉलोअप डेस्क
बिहार के चर्चित  यूट्यूबर मनीष कश्यप को बड़ी राहत मिली है। मदुरई कोर्ट ने मनीष कश्यप की जमानत अर्जी को मंजूर कर लिया है। साथ ही उनके ऊपर लगे NSA की धाराओं को हटा लिया है। बता दें कि आज की कार्यवाही में कोर्ट ने इस मामले की अंतिम सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद मनीष कश्यप के समर्थकों में काफी खुशी है। जानकारी हो कि मनीष कश्यप पर प्रवासियों के फर्जी वीडियो शेयर का आरोप था। हालांकि कश्यप को मदुरै अदालत ने फर्जी वीडियो मामले में जमानत दे दी है और उनके खिलाफ एनएसए मामला खत्म कर दिया गया है। वावजूद इसके उन्हें जेल से बाहर आने के लिए इंतजार करना होगा।

फर्जी वीडियो शेयर करने का लगा था आरोप 
मनीष कश्यप पर प्रवासियों के फर्जी वीडियो शेयर करने का आरोप लगा था। आज की कार्यवाही में कोर्ट ने इस मामले में अंतिम सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका के जवाब में उन्हें हाई कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था। हालांकि, मनीष कश्यप के वकील ने कहा है कि वे अदालत से लिखित आदेश प्राप्त होने के बाद ही इस मामले पर टिप्पणी कर सकते हैं, जो शाम 5 बजे जारी होने की उम्मीद है।


पटना के बेउर जेल में बंद है
तमिलनाडु में बिहारी प्रवासी श्रमिकों पर हमले के फर्जी वीडियो साझा करने के आरोपी मनीष कश्यप फिलहाल पटना के बेउर जेल में बंद हैं। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) द्वारा दायर वित्तीय गड़बड़ी के एक मामले में इस साल अगस्त में पटना सिविल कोर्ट ने उन्हें बेउर जेल में रखने का आदेश दिया था। इससे पहले तमिलनाडु पुलिस की टीम कोर्ट से प्रोडक्शन वारंट हासिल कर उसे पटना से ले आई थी। मदुरई कोर्ट ने यूट्यूबर मनीष को 19 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इससे पहले कोर्ट ने मनीष को पुलिस हिरासत में रखा था।


जेल से बाहर आने का इंतजार करना होगा
हालांकि कश्यप को मदुरई अदालत ने फर्जी वीडियो मामले में जमानत दे दी है और उनके खिलाफ एनएसए मामला खत्म कर दिया गया है. वावजूद इसके उन्हें जेल से बाहर आने के लिए इंतजार करना होगा। ईओयू द्वारा उनके खिलाफ दायर वित्तीय गड़बड़ी के मामले के कारण यूट्यूबर के पटना की बेउर जेल में रहने की संभावना है। ईओयू ने कश्यप के खिलाफ तीन मामले दर्ज किए थे। बेतिया मामले में उन पर एक बैंक मैनेजर को उसके आधिकारिक कर्तव्यों के पालन में बाधा डालने का आरोप है।