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रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया कार्यालय के सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम की ओर से जारी लाइफ टेबल रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है। जिसमें बताया गया है कि बिहार में महिलाएं पुरुषों से 9 महीने ज्यादा जीती हैं। इसमें अधिक खुश होंने वाली बात नहीं है। औसत आयु के मामले में बिहार पीछे है। बिहार के मुकाबले देश में महिलाएं पुरुष से औसतन ढाई साल ज्यादा जीती हैं। बता दें कि यहां के लोगों की औसत आयु देश के औसत से 6 महीने कम है। वहीं दिल्ली के मुकाबले बिहार के लोग औसतन 6.7 साल कम जीते हैं। बता दें कि एसआरएस की ओर से 2015-19 के लिए ये आंकड़े जारी किए गए हैं, यानी कोरोना से ठीक पहले के आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण है।
बिहार के लोगों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी 69.2 साल
बता दें कि जन्म के समय बिहार के लोगों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी 69.2 साल है, जबकि देश के लोगों की 69.7 साल है। लाइफ एक्सपेक्टेंसी का अनुमान सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) के माध्यम से अनुमानित मृत्यु दर पर आधारित है। बिहार में महिला और पुरुषों की आयु में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। 2015-19 के पीरियड में जन्म के समय महिलाओं की औसत आयु 69.6 साल है, जबकि पुरुषों की आयु 68.8 साल है। यानी बिहार में महिलाएं पुरुषों से 9 महीने ज्यादा जी रही हैं। देश का औसत देखें तो महिलाएं पुरुषों से ढाई साल से अधिक जीती हैं। देश में महिलाओं की औसत आयु 71.1 साल है जबकि पुरुषों की आयु 68.4 साल है।
सबसे अधिक दिल्ली के लोगों की आयु
सबसे अधिक दिल्ली के लोगों की आयु है, 75.9 साल है। जबकि बिहार सहित 8 राज्यों का औसत देश से कम है। इसमें झारखंड, राजस्थान, असम, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ शामिल है। हालांकि 2014-18 तथा 2015-19, इन दोनों पीरियडों की तुलना करें तो देश के लोगों की औसत आयु 110 दिन बढ़ी है, जबकि बिहार के लोगों की आयु में केवल 37 दिन की वृद्धि हुई है।
2015-19 में बढ़ी है बिहार के लोगों की औसत आयु
बिहार में साल 2014-18 में हुए जन्म के समय लाइफ एक्सपेक्टेंसी 69.1 साल थी, जो 2015-19 में बढ़कर 69.2 साल हो गई है। वहीं देश के लोगों की औसत आयु 2014-18 में 69.4 साल थी, जो 2015-19 में बढ़कर 69.7 साल हो गई है। यानी 0.3 साल(110 दिन) की वृद्धि हुई है। जन्म के समय लाइफ एक्सपेक्टेंसी वह उम्र है जितने साल तक वह व्यक्ति जी सकता है।