मधुबनी
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस और बीजेपी पर निशाना साधा है। प्रशांत किशोर ने कहा कि 1989-90 में कांग्रेस जब यहां हारी, उसके बाद उन्होंने बिहार को एक तरह से लालू को बेच दिया। बिहार को बेचने के साथ अपने संगठन को भी बेच दिया। इसमें कांग्रेस अकेले नहीं है। कांग्रेस ने 1990 में बिहार की जनता के साथ जो धोखा किया उसका खामियाजा आज तक भुगत रही है। बिहार में 1990 के दौर में कांग्रेस रुलिंग पार्टी थी। इसके बाद कांग्रेस एक बार चुनाव हारी और फिर उन्होंने पार्टी को लालू के हवाले छोड़ दिया, चाहे बिहार की जनता का जो होना है हो। यही गलती बीजेपी ने नीतीश के साथ की, बिहार को नीतीश के हवाले कर दिया। बिहार के लोगों का क्या होगा, इस बात की चिंता तक नहीं की।
बीजेपी दलों को तोड़कर सरकार बनाती है
बीजेपी दूसरे राज्यों में अलग-अलग दलों को तोड़कर अपनी सरकार बनाती है। 2020 में वो बिहार में सबसे बड़ी पार्टी थी। लेकिन, उन्होंने बिहार को सुधारने की जिम्मेदारी नहीं ली। उन्होंने नीतीश को सीएम बनाया, जिनके पास सिर्फ 42 विधायक थे। ऐसा इसलिए नहीं किया क्योंकि उनको नीतीश जी से प्रेम था। ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे चाहते थे कि नीतीश के साथ समीकरण बना रहे और हमारे 30-35 सांसद जीतते रहें।
...ताकि सांसद दिल्ली आते-जाते रहें
प्रशांत किशोर ने कहा कि सोनिया गांधी और कांग्रेस ने लालू प्रसाद यादव को बिहार को क्यों बेचा? ऐसा इसलिए किया क्योंकि हमारे 20, 25, 30 सांसद जीतकर दिल्ली में जाते रहें, चाहे बिहार की जनता मरती है तो मरे। ये बिहार की त्रासदी रही है कि दोनों राष्ट्रीय दल, कांग्रेस ने 1990 में और बाद के वर्षों में बीजेपी ने सांसदों की लालच में बिहार की चिंता नहीं की। सिर्फ ये देखा कि बिहार से हमको 20, 25, 30 सांसद आते रहें। फिर हम लोग दिल्ली में बैठकर कहते रहें कि बिहार तो पिछड़ा है, इसका कुछ नहीं हो सकता है। लालू यादव और नीतीश कुमार का पूरा फोकस यही है कि समाज को बांटो और राज करो।