द फॉलोअप डेस्क
बिहार सरकार एक तरफ जहां BPSC से सफल शिक्षकों की बहाली तेजी से कर रही है। वहीं दूसरी तरफ स्कूलों से अतिथि शिक्षकों को हटाने का काम भी तेजी से चल रहा है। केवल 1 महीने के भीतर 700 से अधिक अतिथि शिक्षक हटा दिए गए हैं। हटाये जा रहे अतिथि शिक्षक जिला मुख्यालय से लेकर शिक्षा विभाग तक का चक्कर लगा रहे हैं और रोजगार न छिनने की गुहार लगा रहे हैं।
चुनाव,कोराना, जातीय गणना में हमलोग काम किया लेकिन अब हमें हटाया
अतिथि शिक्षक संघ के प्रवक्ता कुमार संजीव कहते हैं कि एक तरफ सरकार बहाली कर रही है, रोजगार दे रही है तो दूसरी तरफ हमलोगों का रोजगार छीना जा रहा है। यह कहां का न्याय है। छह साल से हमलोग पढ़ा रहे हैं। चुनाव से लेकर कोराना, जातीय गणना तक हमलोगों ने काम किया लेकिन अब हमें हटाया जा रहा है। क्या यहीं लोक कल्याणी राज्य की अवधारणा है? अपर मुख्य सचिव से लेकर विधानसभाध्यक्ष तक हमलोग गुहार लगा चुके हैं। सब लोगों का कहना है कि अतिथि शिक्षकों को हटाया नहीं जाएगा, लेकिन हर जिले में डीईओ द्वारा अतिथि शिक्षकों को हटाने का पत्र जारी किया जा रहा है।
2018 में पहली बार हुई थी बहाली
2018 में पहली बार उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए अतिथि शिक्षकों की बहाली राज्यभर में हुई। बिहार के अलग-अलग स्कूलों में कुल 4257 अतिथि शिक्षक प्रतिदिन एक हजार की दर से अधिकतम 25 हजार मानदेय पर काम करने लगे। प्लस टू स्कूलों के बॉटनी, जूलॉजी, फिजिक्स, कमेस्ट्री, मैथ और इंग्लिश विषयों के लिए अतिथि शिक्षकों का चयन हुआ। पोस्ट ग्रेजुएट और बीएड करनेवाले लोग अतिथि शिक्षक बने। दूसरी तरफ सितंबर 2023 में राज्यभर में करीब 20 हजार अतिथि शिक्षक आउट सोर्सिंग के जरिए रखे गए। इन्हें 250 रुपये प्रति कक्षा के दर से राशि देना तय हुआ। लेकिन BPSC से शिक्षक बहाली शुरू होते ही अतिथि शिक्षकों के कॅरियर पर आफत आ गई है।