जेल में सज़ा काटने के दौरान मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ने ‘हम देखेंगे’ नज़्म लिखी थी। उसे पाकिस्तान में बैन कर दिया गया था। तब जि़या उल हक़ की हुकूमत थी। लेकिन 13 फरवरी, 1986 को पहली बार जब जानी मानी गायिका इक़बाल बानो (Iqbal Bano) ने हजारों लोगों के सामने इसे
बात उर्दू की हो या हिंदी की। प्रेमचंद के रचनाकर्म ने इसे सबसे अधिक समृद्ध किया। आज भी वो आदर्श लेखक हैं। पंच परमेश्वर उनकी ऐसी ही अमर कहानी है, जिसमें ग्राम्य जीवन के बहाने नारी सशक्तीकरण की अलख बुलंद होती है।
बीते कुछ बरसों में हमारे समाज में अनेक वीभत्स और जघन्य घटनाएं हुईं हैं। जिन्होंने न केवल समाज को भीतर तक झिंझोड़ कर रख दिया बल्कि मानवता को शर्मसार भी किया है। इसी घटनाओं में निर्भया कांड भी शामिल है। कुछ इसी ज्वलंत विषय पर डायरेक्टर विनीत शर्मा की लघुफ़िल्
भारतीय ट्रेन में सुविधाओं के अनुसार उसका किराया होता है। क्योंकि हमारे देश में हर तरह की ट्रेन चलती है। हर ट्रेन का कुछ ना कुछ भाड़ा आपको देना ही होता है। लेकिन एक ऐसी ट्रेन है, जिसमें आप फ्री में सफ़र कर सकते हैं। उसमें कोई किराया नहीं लगता। आइए इस खास
हिंदुस्तान की एक और हस्ती ने दुनिया को अलविदा कह दिया। प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट नारायण देबनाथ का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को निधन हो गया। देबनाथ 97 वर्ष के थे। मिली जानकारी के मुताबिक नारायण देबनाथ का कोलकाता के बेलेव्यू हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। नारायण
देश लोगों से बनता है। कथक सम्राट पडित बिरजू महाराज ऐसे ही भारत निर्माता थे। नृत्य के अलावा शास्त्रीय गायन में भी उनकी भूमिका स्वर्णिम रही है। 4 फरवरी 1938 को लखनऊ में जन्मे पंडित बिरजू महाराज ने करीब 83 साल की उम्र में आज तड़के नई दिल्ली में अंतिम सांस ली।