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Delhi : हमेशा के लिए बुझा दी जायेगी अमर जवान ज्योति, मोदी सरकार बोली- बहुत खर्चा हो रहा था

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द फॉलोअप टीम, दिल्ली: 

शहीदों की याद में बीते कई दशकों से इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति हमेशा के लिए बुझ जायेगी। शुक्रवार को इसे दोपहर साढ़े 3 बजे एक कार्यक्रम में इसे हमेशा के लिए बुझा दिया गया। मिली जानकारी के मुताबिक ये ज्योति अब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में जलेगी। शुक्रवार को इसे अमर जवान ज्योति की मशाल को नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल के साथ मिला दिया जायेगा। सरकार का ये तर्क है कि 2 स्थानों पर मशाल को जलाने तथा इसका रखरखाव करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 

केंद्र सरकार ने क्या तर्क दिया है
हालांकि, अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ विलय को लेकर केंद्र सरकार जो भी तर्क दे, विपक्ष लगातार इसकी आलोचना कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि मौजूदा बीजेपी सरकार इतिहास मिटाना चाहती है। वो चाहती है कि देश की सभी प्राचीन विरासत को मिटा दिया जाये और नये सिरे से नई विरासत खड़ी की जाये। मौजूदा बीजेपी सरकार चाहती है कि, देश में सबकुछ नरेंद्र मोदी के नाम से जाना जाये। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा नया संसद भवन और प्रधानमंत्री आवास भी इसी की बानगी है।

राहुल गांधी ने किया प्रज्वलित करने का एलान
राहुल गांधी ने कहा कि जो पीएम अपने हर तीसरे भाषण में सेना और शहीदों का नाम लेते हैं, वही शहीदों का अपमानित कर रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि यदि सरकार के पास अमर जवान ज्योति को जलाये रखने के लिए पैसा नहीं है तो हम दोबारा उसे प्रज्वलित करेंगे। शहीदों का अपमान नहीं होना चाहिये। 

अमर जवान ज्योति का इतिहास क्या है
सेना से मिली जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में अब तक शहीद हुये सभी जवानों का नाम है। शहीदों के परिवार के लोग यहां आते हैं। गौरतलब है कि 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था। 40 एकड़ जमीन पर कुल 176 करो़ड़ की लागत से बनाया गया है। गौरतलब है कि इंडिया गेट को ब्रिटिश सरकार ने प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुये भारतीय सैनिकों की याद में बनाया था

इंदिरा गांधी ने किया था इसका उद्घाटन
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुये सैनिकों की याद में साल 1972 में यहा अमर जवान ज्योति बनाई गई। गौरतलब है कि इस युद्ध में भारत की जीत हुई थी। पूर्वी पाकिस्तान एक नये मुल्क बांग्लादेश के रूप में अस्तित्व में आया था। तात्कालीन प्रधानमंत्रीं इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी साल 1972 को इसका उद्घाटन किया था।