द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड के रामगढ़ जिले में शमशाद अंसारी की भीड़ द्वारा हत्या किये जाने के पांच आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि, पुलिस ने इस हत्याकांड को ‘मॉब लिंचिंग’ मानने से इनकार कर दिया है। इसे ‘मॉब लिंचिंग’ नहीं मानने की अपनी दलील भी दी है पुलिस ने। साथ ही, इसे मॉब लिंचिंग कहे जाने से घटना वाले गांव और वहां रहनेवाले लोगों की छवि खराब होने की फिक्र जतायी है। यह भी कहा है कि कुछ असामाजिक तत्व इसका फायदा भी उठा सकते हैं।
SIT ने छापामारी कर पांच आरोपियों को किया गिरफ्तार
रामगढ़ पुलिस ने एक प्रेस बयान जारी कर बताया है कि 22 अगस्त को शाम के करीब 5:30 बजे ग्रामीणों ने रजरप्पा थाना की पुलिस को घटना की सूचना दी थी। बताया था कि रजरप्पा थाना क्षेत्र के सिकनी गांव में कुछ व्यक्तियों द्वारा शमशाद अंसारी (50 वर्ष) को मारपीटकर जख्मी कर दिया गया है। उक्त सूचना पर रजरप्पा पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और घायल शमशाद अंसारी को सदर अस्पताल ले गयी। वहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद इस संबंध में रजरप्पा थाना में आईपीसी की धारा 302/34 के तहत एफआईआर (कांड सं 135/2023, दिनांक- 23.08.2023) दर्ज की गयी।
पुलिस ने बताया कि घटना की गंभीरता को देखते हुए रामगढ़ के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के नेतृत्व में विशेष अनुसंधान टीम (SIT) का गठन किया गया। इस टीम ने छापामारी कर इस कांड के पांच अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया।
इन अभियुक्तों को किया गया है गिरफ्तार
पुलिस ने बताया कि शमशाद अंसारी की हत्या के आरोप में जिन पांच अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें पुरन महतो, भुनेश्वर महतो, हीरालाल महतो, बालेश्वर महतो और अरविंद महतो शामिल हैं। पुलिस के मुताबिक, ये सभी आरोपी रामगढ़ के रजरप्पा थाना क्षेत्र स्थित फुसरी बांध सिकनी के रहनेवाले हैं।
पुलिस बोली- इसे मॉब लिंचिंग कहना उचित नहीं
पुलिस ने अपने प्रेस बयान में कहा है कि कुछ समाचारपत्रों और मीडिया के अन्य माध्यमों से इस घटना को मॉब लिंचिंग करार देते हुए प्रसारित किया गया है। इस कांड को मॉब लिंचिंग की श्रेणी में रखना उचित नहीं होगा। पुलिस ने अपने इस प्रेस बयान में कहा है कि मॉब लिंचिंग की घटना में बड़ी संख्या में अनियंत्रित भीड़ द्वारा हत्या की घटना को अंजाम दिया जाता है, जबकि इस हत्याकांड को कुछ अपराधियों ने अंजाम दिया है।
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पुलिस को गांव और ग्रामीणों की छवि धूमिल होने की फिक्र
पुलिस का कहना है कि इस तरह की घटना को मॉब लिंचिंग का रूप देने से गांव और स्थानीय ग्रामीणों की छवि धूमिल होती है और क्षेत्र में अशांति पैदा होती है। कुछ असामजिक तत्वों द्वारा इसका गलत फायदा उठाकर समाज में भ्रम फैलाने और विभिन्न समुदायों के बीच तनाव और विवाद की स्थिति उत्पन्न की जा सकती है। इससे विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
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