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Socio-Economic Change: इमली की खटास से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में घुल रही आजीविका की मिठास

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द फॉलोअप टीम, रांची:
खूंटी के शिलदा गांव की सुशीला मुंडा रौशनी पिछले एक साल से इमली इकट्ठा कर रही हैं। इससे उन्हें 40 हजार रुपए की आमदनी हुई। सिमडेगा के ठेठईटांगर स्थित केसरा गांव की लोलेन समद भी इस काम से जुड़ी हुई हैं। उनके पास इमली के सात पेड़ हैं, जिससे हर साल उन्हें लगभग तीन टन इमली की उपज मिलती है। लोलेन को साल भर में एक लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है। जिससे वे अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देने में समर्थ हैं। इन जैसी महिलाओं की संख्‍या में लगातार इजाफा हो रहा है, जिनकी जिंदगी में इमली की खटास आजीविका की मिठास घोल रही है। राज्य के सुदूर गांव में यह सामाजिक-आर्थिक बदलाव मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश पर वनोपजों के जरिए संभव हो रहा है।



112 टन इमली संग्रहण से 39 लाख से ज्यादा का व्यापार
पिछले वर्ष राज्य की 11 हजार महिला किसानों द्वारा 112 मीट्रिक टन इमली का संग्रहण कर तकरीबन 39 लाख से ज्यादा का व्यापार किया गया। वर्तमान में कुल 14,731 महिला किसानों द्वारा 309 मीट्रिक टन इमली का संग्रहण कर उसका व्यापार करने का लक्ष्य रखा गया है, उसमे से अबतक 86 मीट्रिक टन इमली को संग्रहित कर प्रसंस्करित किया जा रहा है। आने वाले दिनों में इस पहल के जरिए और अच्छी कमाई होने की उम्मीद है। 



पांच जिले के 14,731 किसान कारोबार से जुड़े हुए हैं
ग्रामीण विकास विभाग के तहत झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी अंतर्गत महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना ग्रामीण महिलाओं के लिए इमली संग्रहण एवं प्रसंस्करण का कार्य कर अच्छी आमदनी उपलब्ध कराने में सहायक बन रहा है। इमली के संग्रहण के ज़रिये महिलाएं मामूली लागत से अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रही हैं। वर्तमान में राज्य के पांच जिलों सिमडेगा, रांची, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम और खूंटी में महिला किसान सशक्तभ्‍करण परियोजना के अंतर्गत 14,731 किसान इमली उत्पादन एवं प्रसंस्करण के कार्य से जुड़े हैं। महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना के द्वारा किसानो को प्रशिक्षण और आधुनिक उपकरणों के जरिए प्रसंस्करण का प्रशिक्षण दिया गया है। 


पलाश ब्राण्ड के जरिए हो रही है इमली की बिक्री 
महिला किसान परियोजना के अंतर्गत इमली उत्पादन से जुड़ी महिला किसान इमली प्रसंस्करण इकाई के माध्यम से इमली केक बनाने का कार्य भी कर रही हैं। इन प्रसंस्करण इकाइयों में ग्रामीण महिलाएं इमली से बीज निकालने से लेकर पल्प तैयार कर इमली के केक बनाने का सारा काम आधुनिक मशीनों के ज़रिये कर रही हैं। प्रसंस्करण इकाइयों में काम करने वाली महिलाओं को दैनिक मानदेय भी प्राप्त होता है, जिससे उनकी अतिरिक्त कमाई भी हो जाती है। इमली के केक पलाश ब्रांड के तहत बाज़ार में उपलब्ध कराया जा रहा है। पलाश ब्रांड के तहत राज्य के विभिन्न पलाश मार्ट एवं सेल काउंटर पर बिक्री की जा रही है। राज्य के विभिन्न स्थानों पर 11 ग्रामीण सेवा केंद्र के जरिए समुदाय आधारित इमली संग्रहण एवं प्रसंस्करण का कार्य किया जा रहा है। इन ग्रामीण सेवा केंद्रों का संचालन ग्रामीण महिलाओं के संगठन के द्वारा किया जाता है। वहीं पलाश ब्राण्ड के तहत अच्छी पैकेजिंग एवं मार्केटिंग कर इमली की कीमत भी अच्छी मिल रही है।