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मां की अर्थी को बेटियों ने दिया कंधा, कोरोना के डर से बेटा कमरे में रहा बंद

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द फॉलोअप टीम, रांची:
मां! यह महज शब्द नहीं, ऐसा भाव है, जिसे व्यक्त नहीं किया जा सकता। इसकी महानता अपरंपार है। लेकिन कोई बेटा उसकी ही अंत्येष्ठि से खुद को सिर्फ इसलिए दूर कर ले कि कहीं उसे भी कोरोना न हो जाए। इंसानियत और रिश्ते को तार-तार करने वाली खबर राजधानी रांची की ही है।
55 वर्षीय सांझो देवी की मौत सीसीएल के गांधीनगर अस्पताल में हुई। जब शव घर लाया गया तो बेटा लालू उरांव ने पत्नी के साथ अपना कमरा बंद कर लिया। जबकि उसकी बहनें रोते हुए चीख- चीख कर कहतीं रही कि मां को कोरोना नहीं था। उनकी रिपोर्ट निगेटिव थी। जब बहनों की चीत्कार दीवारों से टकराकर वापस आती रही। बेटियों ने ही मां के शव को कंधा दिया और गांव से एक किलोमीटर दूर मसना स्थल में मां को दफन कर अंतिम रस्म पूरी की।

अस्पताल देखने भी नहीं आया मां को
जब सांझो देवी की तबीयत खराब हुई तो उनकी दोनों
बेटी रीना देवी और दीपिका ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। मां की सेवा की। 13 दिनों तक इलाज चला लेकिन एक दिन भी बेटा लालू उरांव मां को देखने अस्पताल नहीं आया। बेटे को यह शक था कि उसकी मां कोरोना संक्रमित है। 

पति की मौत होने पर बेटे को ही दिलाई थी नौकरी 
सांझो देवी के पति सीसीएल में नौकरी करते थे। कार्यालय में ही 2009 में उनकी मृत्यु हो गई थी। पत्नी सांझो देवी को अनुकंपा नौकरी का प्रस्ताव मिला। लेकिन मां ने बेटे को नौकरी दे दी। 2011 में लालू उरांव को नौकरी मिली। नौकरी मिलने के बाद ही वह मां से झगड़ा करता था। मां को भरण पोषण के लिए पैसे भी नहीं देता था। इसलिये  मां मजदूरी कर अपना गुजारा करती थी।