द फॉलोअप टीम, रांची:
पोताला तिब्बतियन मार्केट एसोसिएशन ने नो बीजिंग ओलिंपिक 2022 का नारा बुलंद किया है। उन्होंने पूरे विश्व के सारे देशों से बहिष्कार करने की अपील की है। चीन में कथित मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ वे चाहते हैं कि पूरा विश्व एक हो जाये। तिब्बती कार्यकर्ताओं ने कहा कि शीतकालीन ओलंपिक के विरोध का उद्देश्य चीन के खिलाफ लक्षित प्रतिबंधों को लागू करने और बीजिंग ओलंपिक 2022 का बहिष्कार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सरकारों को एक स्पष्ट संदेश भेजना है। उनका कहना है कि ‘बीजिंग को ओलिंपिक खेलों के आयोजन की स्वीकृति कैसे दी जा सकती है जबकि वे तिब्बतियों का नरसंहार कर रहे हैं।’ फ्री तिब्बत देने की जगह वहां रह रहे लोगों को ना तो प्रार्थना करने दी जा रही है, और ना हीं उन्हे अपने धर्म के अनुसार कोई आचर्न करने दिया जा रहा है। चाइना हमारे देश तिब्बत को भी पिछले कई दशकों से गुलाम बना कर रखा है। उसे आजाद करने की कोई पहल नहीं कर रहा।
पहले भी हो चुका है विरोध
बीजिंग 2008 ओलिंपिक खेलों के मशाल प्रज्ज्वलन समारोह के दौरान भी लोकतंत्र समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया था। बीजिंग शीतकालिन ओलंपिक’ का उद्घाटन चार फरवरी 2022 को होगा। तिब्बतियन मार्केट एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि चीन पर शिंजियांग प्रांत में मुस्लिम उइगरों का बड़े पैमाने पर ‘नरसंहार’ करने के अलावा उन्हें कथित तौर पर शिविरों में रखने और धार्मिक स्वतंत्रता में कटौती हो रहा है।
चीन में मानवाधिकारों का हो रहा है हनन
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने चीन में मानवाधिकारों के हनन की आलोचना करते हुए वैश्विक नेताओं से इसमें शामिल नहीं होने का आह्वान किया था, उन्होंने कहा, ‘मेरा प्रस्ताव है इसका राजनयिक बहिष्कार किया जाए। अग्रणी देशों को ‘इस ओलिंपिक में अपनी भागिदारी रोकनी चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘राष्ट्राध्यक्षों को चीन जाकर चीनी सरकार का सम्मान नही करना चाहिये। चीन में नरसंहार के बाद भी जो राष्ट्राध्यक्ष वहां जाएंगे और जब वे अपनी सीट पर बैठे होंगे तो वास्तव में यह सवाल उठेगा कि दुनिया में कहीं भी मानवाधिकारों के बारे में फिर से बोलने के लिए उनके पास कौन सा नैतिक अधिकार होगा?
कई देशों ने किया है विरोध
बीजिंग में 2022 को होने वाले शीतकालीन ओलंपिक के बहिष्कार पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की घोषणा के बाद ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने भी खेलों के राजनयिक बहिष्कार पर विचार की बात कही है। उन्होंने इसके लिए चीन में कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन को जिम्मेदार ठहराया है। ब्रिटिश सरकार बीजिंग ओलंपिक में अफसरों को भेजने से रोकने की संभावना पर सक्रिय रूप से चर्चा कर रही है। इससे पहले यूरोपीय संसद ने चीन को बड़ा झटका देते हुए 2022 में होने वाले बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के बहिष्कार का ऐलान किया है। यूरोपीय संसद के सांसदों ने सहमति जताते हुए कहा कि हमें चीन के मानवाधिकारों के हनन के कारण बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले निमंत्रण को अस्वीकार करना चाहिए। इसके अलावा यूरोपीय देशों को हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र समर्थकों का समर्थन करना चाहिए।
टेनिस स्टार पेंग के साथ भी किया गलत
पोताला तिब्बतियन मार्केट एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि चाइना बिना मानवाधिकार के अपने मन से काम करता है। उसके खिलाफ उठने वाली हर आवाज को वे दबा देता है। आज पूरी दुनिया में उसने कोरोना को फैला दिया इसकी भी जगहनता से जांच होनी चाहिए। पैसे के दम पर वे पूरा दुनिया को अपने कब्जे में करना चाहता है। उन्होंने कहा कि मशहूर टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई चीन के जब पूर्व वाइस-प्रीमियर झांग गाओली पर यौन शोषण के आरोप लगानया उसके बाद वे लापता हो गई। सरकार दबाव में उससे वे पोस्ट भी डिलीट करवा दिया। हर आवाज को वहां दबा दिया जाता है। क्या इन सब के बाबजूद वहां खेलकरा कर चाइना को और मजबूत किया जायेगा।
दुनिया को बताएंगे चीन का सच
पोताला तिब्बतियन मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष टी. दौरजे (चुंग बाई) के कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के दिन हम अपनी आवाज को और बुलंद करेंगे और आम लोगों को चाइना की सच्चाई बताएंगे। जिसका उद्देश्य विश्वभर के लोगों का ध्यान मानवाधिकारों की ओर आकर्षित करना होगा। एसोशिएशन के सचिव रिनजीन लॉवंग ने कहा कि उसी दिन हमारे बौद्ध धर्म के गेलुग्पा वंश के धर्मगुरु दलाई लामा को 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिसका हम शुक्रिया अदा करेंगे। संगठन के महासचिव रिनछीन और निमा डॉनडूफ ने कहा आज पूरे विश्व को चाइना के खिलाफ खड़ा होना चाहिए नहीं तो उसके हौसले हर दिन बढ़ते जायेंगे।