द फाॅलोअप टीम, रांची
लोक आस्था के महापर्व छठ यानी सूर्य षष्ठी का आज दूसरा दिन है। बुधवार को पर्व का पहला दिन था। बीते दिन व्रतियों ने स्नान और भगवान भास्कर का आह्वान के बाद सात्विक भोजन ग्रहण किया। खरना के दिन व्रती अपने कुलदेवता और छठ मैय्या की पूजा करते हैं। बता दें कि छठ मैय्या सूर्य के स्त्रेन रूप हैं।
खरना को गुड़ से बनी खीर अर्पित करने का प्रचलन है
खरना के दिन छठी मैय्या को गुड़ से बनी खीर का प्रसाद अर्पित किया जाता है। खरना के दिन शाम के समय गन्ने का जूस या गुड़ के चावल या गुड़ की खीर बनाई जाती है। खरना से ही 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाता है। यह व्रत तब समाप्त होता है जब उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं शाम को स्नान करती हैं और विधि-विधान से रोटी और गुड़ की खीर का प्रसाद बनाती हैं। इसके अलावा प्रसाद में मूली, केला भी रखा जाता है। इस दिन जो प्रसाद बनाया जाता है उसे मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर बनाया जाता है। फिर सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद व्रती महिलाएं प्रसाद ग्रहण करती हैं।
खरना मनाने की विधि
छठ पर्व तीन दिन तक मनाया जाता है। इस पर्व का दूसरा दिन खरना होता है। खरना का मतलब शुद्धिकरण होता है। दरअसल, जो व्यक्ति छठ का व्रत करता है उसे इस पर्व के पहले दिन यानी नहाय-खाय वाले दिन पूरा दिन उपवास रखना होता है। इस दिन केवल एक ही समय भोजन किया जाता है। यह शरीर से लेकर मन तक सभी को शुद्ध करने का प्रयास होता है। इसकी पूर्णता अगले दिन होती है। इसी के चलते इसे खरना कहा जाता है। खरना के दिन व्रती साफ मन से अपने कुलदेवता और छठ मैय्या की पूजा करते हैं। साथ ही गुड़ से बनी खीर का प्रसाद भी अर्पित करते हैं। खरना के दिन शाम के समय गन्ने का जूस या गुड़ के चावल या गुड़ की खीर का प्रसाद बनाया जाता है और इसे बांटा जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद व्रती को 36 घंटे का निर्जला व्रत करना होता है।
अब पूरे देश में मनाया जाता है छठ
देशभर में खासतौर से उत्तर प्रदेश और बिहार-झारखंड छठ का त्यौहार मनाया जा रहा है। आज से छठ की शुरुआत हो चुकी है। आज छठ का पहला दिन यानी नहाय-खाय है। वहीं, कल छठ का दूसरा दिन खरना मनाया जाएगा। आइए जानते हैं क्या होता है खरना, व्रत विधि और क्या है इसका धार्मिक महत्व।