द फॉलोअप टीम, रायपुर:
भारत की आजादी को 70 साल से ज्यादा वक्त हो गया। इंडिया डिजिटल हो चला है। विकास की नई रफ्तार पकड़ रहा है। ग्लोबल विलेज का हिस्सा है। नये आविष्कार, नई शिक्षा नीति, नई प्रगति गाथा और नया प्रतिमान गढ़ा जा रहा है। आप सोच रहे होंगे कि इसमें नई बात क्या है। जाहिर है नई बात कुछ भी नहीं है। ये तो सब जानते हैं लेकिन जो बात नहीं जानते वो जानकर हैरान रह जायेंगे।
कब तक सुधरेंगे ग्रामीण इलाकों में हालात
आजादी के इतने सालों बाद भी किसी गर्भवती महिला की मौत बिना इलाज के सड़क में हो जाती है। किसी बीमार व्यक्ति को अस्पताल में जमीन में खाना परोस दिया जाता है। किसी गरीब की लाश को अस्पताल की मोर्चरी में चूहे कूतर देते हैं। किसी गरीब को अपनी मां की लाश साइकिल में लाद कर 20 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। कहीं-कहीं लोग पेयजल की बुनियादी जरूरत से भी महरूम रह जाते हैं। ताजा मामला छत्तीसगढ़ का है जहां लोग गड्ढे का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।
बलरामपुर पंचायत में गंदा पानी पीते हैं लोग
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर स्थित कुंदरू गांव में ग्रामीणों को गड्ढे का गंदा पानी पीने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इस गंदे पानी के लिए भी ग्रामीणों को प्रत्येक दिन लंबा इंतजार करना पड़ता है। कटोरी के सहारे बर्तन में पानी भरना पड़ता है। ग्रामीणों को ऐसा पानी पीने के लिए इसलिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि गांव में हैंडपंप नहीं है।
मामले में जिला पंचायत की सीईओ ने कहा कि एक टीम स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था करने के लिए क्षेत्र का निरीक्षण करने भेजा गया। लोगों को साफ पानी उपलब्ध कराया जायेगा ताकि कोई बीमार नहीं पड़े।
कुंदरू गांव के प्रति उदासीन क्यों प्रशासन
जानकारी के मुताबिक बलराम जिला पंचायत की सीईओ ने कहा कि अब कुंदरू गांव में बोरवेल की मरम्मत कर दी गयी है। कुछ नये बोरवेल लगाये गये हैं। गांव वालों ने दो सामुदायिक तालाब की भी मांग की थी जिसे जल्दी ही मंजूरी दी जायेगी ताकि लोगों को पेयजल के अभाव का सामना करना पड़े। ये अच्छी खबर है कि समस्या का समाधान किया गया लेकिन सवाल भी है कि आखिर इतने दिनों तक ग्रामीणों को क्यों गंदा पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ा।