द फॉलोअप टीम रांची: आदिवासी कवयित्री-लेखिका वंदना टेटे पांचवें शैलप्रिया स्मृति सम्मान से नावजी गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जाने-माने आलोचक और झारखंड विशेषज्ञ डॉक्टर वीर भारत तलवार ने कहा, 'जब आप स्थापित मान्यताओं को चुनौती देने लगें, जब आप परंपराओं पर सवाल उठाने लगें, तब मान लीजिए कि बदलाव और क्रांति की शुरुआत यहीं से हो जाती है। वंदना टेटे की कविताएं यह काम करती हैं!' वंदना की कविताओं का उल्लेख करते हुए बताया कि ये कविताएं किस तरह अपनी परंपरा से मुठभेड़ करती हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वंदना में सैद्धांतिकीकरण की जो प्रवृत्ति है वह बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने सांस्कृतिक संस्था 'अखड़ा' की मार्फत वंदना के सामाजिक सांस्कृतिक कार्यों को भी काफी अहम बताया और अखड़ा के लिए दो लाख रुपए देने का एलान भी किया। डॉक्टर वीर भारत तलवार ने कवयित्री शैलप्रिया की सहजता और उनकी कविताओं की आंतरिक शक्ति का भी उल्लेख किया।
पांचवें शैलप्रिया स्मृति
सम्मान का समारोह ऑनलाइन हुआ
झारखंड का प्रतिष्ठित
शैलप्रिया स्मृति सम्मान समारोह शनिवार को ऑनलाइन हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि
के तौर पर वरिष्ठ आलोचक रोहिणी अग्रवाल ने वंदना टेटे की कविताओं के अंदर दिखाई
पड़ने वाले प्रतिरोध को रेखांकित किया और इस बात का भी उल्लेख किया कि यह कविताएं
किस तरह एक आदिवासी संवेदना की अभिव्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि इन कविताओं के
मूल्यांकन के लिए जो निकष चाहिए वह गैर आदिवासी दृष्टि से अलग होंगे। उन्होंने
शैलप्रिया और वंदना टेटे के कार्यक्रम में एक तरह की संगति भी देखी।
वंदना टेटे के वैचारिक
अवदान भी रेखांकित किए गए
मुख्य वक्ता और आलोचक
गंगा सहाय मीणा ने वंदना टेटे के वैचारिक अवदान को काफी महत्वपूर्ण माना। उन्होंने
कहा कि वंदना ने आदिवासी दर्शन और विरासत की अलग से व्याख्या की है। उन्होंने यह
भी जोड़ा कि वंदना के काम के साथ आदिवासी साहित्य के इतिहास का लेखन कायदे से शुरू
होता है। निर्णायक मंडल के सदस्यों डॉक्टर अशोक प्रियदर्शी, महादेव टोप्पो और प्रियदर्शन ने भी अपनी बातें रखीं। उन्होंने इस बात का
उल्लेख किया कि शैलप्रिया स्मृति सम्मान के लिए वंदना टेटे के चयन के पीछे क्या
दृष्टि काम कर रही थी।
सम्मान राशि ₹15000
कार्यक्रम में वंदना टेटे
और शैलप्रिया की कविताएं भी पढ़ी गईं। स्वागत वक्तव्य शैलप्रिया स्मृति न्यास की
ओर से डॉ विद्याभूषण ने दिया, कार्यक्रम संचालन अनुराग
अन्वेषी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन अनामिका प्रिया ने किया।झारखंड की सुख्यात
कवयित्री और सामाजिक कार्यकर्ता शैलप्रिया की स्मृति में महिला लेखन के लिए दिया
जाने वाला यह पांचवां सम्मान था। इसकी सम्मान राशि ₹15000 की है।