द फॉलोअप टीम, रांची:
लगभग दाे सदी से कुछ साल पहले पुलिस छावनी डोरंडा में हुआ करती थी। जिसमें एक पद रिसालादार का भी हुआ करता था। इसी पद पर केरल का एक नौजवान ड्युटी निभाया करता था। लेकिन फुरसत मिलते ही किसी कोने (आज जिस जगह जामा मस्जिद है।) में जाकर इबादत करता। वहीं असहाय और जरूरतमंद की मदद कर दिया करता। कहा जाता है कि धीरे-धीरे इसका असर होने लगा। सिर्फ पुलिस के परिवार ही नहीं दूसरे लोग भी इनके पास दुआ-तावीज के लिए आने लगे। इबादत से इन्हें नूर, तो खिदमत से शोहरत भी होने लगी। जब अंतिम सांस ली, तो सहकर्मियों ने चांदमारी मैदान में पीपल के पेड़ के नीचे दफन कर दिया। कोई इनका नाम कुतुबुद्दीन, तो कोई दरबारी खान बताता है। वो कहते भी थे, इंसान नाम से नहीं काम से जाना जाता है। आज समूची दुनिया उन्हें रिसालदार बाबा के नाम से अकीदत रखती है। जुमेरात (गुरुवार) जैसे पाक दिन से उनके 214 वें उर्स का आगाज होने जा रहा है। पहले दिन दरगाह कमेटी के सदर हाजी रऊफ गद्दी के घर से चादर निकाली जाएगी और दिन के साढ़े 4 बजे मजारशरीफ पहुंच चादरपोशी की जाएगी। दोपहर में कौसर जानी और शहंशाह ब्रदर्स के बीच कव्वाली होगी।
चांद-तारा लगे 65 फिट ऊंचा खंभे पर होगी परचम कुशाई
पांच दिवसीय सालाना उर्स का समापन 25 अक्टूबर को होगा। जिसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। दरगाह कमेटी के अध्यक्ष हाजी अब्दुल रउफ गद्दी, महासचिव मो फ़ारूक़ ने बताया कि कोविड-19 को देखते हुए सरकारी गाइडलाइन का पूरा-पूरा पालन करते हुए रिसालदार बाबा का उर्स अकीदत व एहतराम के साथ मनाया जाएगा। 21 अक्टूबर को सुबह गुस्ल,कुरआन खानी और 8:00 बजे परचम कुशाई होगी। 22 अक्टूबर को इतिहासिक परचम कुशाई होगी जो 65 फिट ऊंचा हैं जिसमे चांदी का चांद तारा लगा होगा। जुमा नमाज़ के बाद 2:30 बजे अध्यक्ष हाजी रऊफ के हाथों से परचम कुशाई की जाएगी। 23 अक्टूबर ख़ानक़ाही कव्वाली होगी।
न सर्कस, न मेला,न दुकान
24 अक्टूबर को कमेेेटी के महासचिव मोहम्मद फ़ारूक़ के आवास से शाही संदल व चादर निकलेगी और बाद नमाज़ असर चादर पोशी की जाएगी। 2 से 4 बजे तक कौसर जानी और शहंशाह ब्रदर्स के बीच कव्वाली होगी। मज़ार शरीफ परिसर में बाद नमाज़ एशा नातिया मुशायरा होगा। हिंदुस्तान के मशहूर नात खाव्ह शामिल होंगे। उपाध्यक्ष हाजी जाकिर, उप सचिव शोएब, अली अहमद, जावेद अहमद खान, गुलाम खाजा ने बताया कि 25 अक्टूबर को ख़ानक़ाही कव्वाली, कुल शरीफ, फातेहा खानी, मीलाद, तिलावत पंज सूरह के बाद हजऱत कुतुबुद्दीन रिसालदार बाबा के रूहे पाक को नज़र किया जाएगा। इस बार सिर्फ शीरनी, चादर, की दुकान को ही लगाने की अनुमति हैं। किसी भी तरह का झूला लगाने की अनुमति नहीं हैं।