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बारिश में विद्यालय के बाहर निकाले गए बच्चे, प्रशासनिक आदेश पर उठे सवाल

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द फॉलोअप डेस्क 
"द फॉलोअप" की खबर का असर – लेकिन असर ऐसा कि आज बच्चों को ही स्कूल से बाहर निकाल दिया गया। बारिश में भीगते हुए बच्चे गेट के बाहर खड़े रहे, और स्कूल का दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया गया। सवाल अब सिर्फ शिक्षा व्यवस्था पर नहीं, बल्कि प्रशासनिक आदेशों की सच्चाई पर भी उठने लगे हैं।

दरअसल कल "द फॉलोअप" में  प्रमुखता से इस विद्यालय की हालत और बच्चों की उपेक्षा की खबर दिखाई गयी थी। आज उसी खबर के बाद एक और हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है। राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय जोरदाग के बच्चों को स्कूल से निकाल कर गेट बाहर से लॉक कर दिया गया। सुबह से ही बच्चे बारिश में भीगते हुए गेट के बाहर खड़े रहे। स्कूल के गेट पर चिपकी एक चिट्ठी ने सबको चौंका दिया। इस चिट्ठी में जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधीक्षक और प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि विद्यालय के सभी शिक्षक आज से नव प्राथमिक विद्यालय अगर टोला स्थानांतरित कर दिए गए हैं। चिट्ठी में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि सभी शिक्षक अब नव प्राथमिक विद्यालय अगर टोला में सेवा देंगे। लेकिन छात्रों की पढ़ाई या उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था का कोई भी जिक्र तक नहीं है।

इस चिट्ठी की पुष्टि के लिए जब "द फॉलोअप" की टीम ने जिला शिक्षा पदाधिकारी से बात की तो उन्होंने किसी भी तरह के आदेश या चिट्ठी से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना है कि ऐसा कोई निर्णय विभागीय स्तर पर नहीं लिया गया है। तो सवाल यह है कि अगर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया तो फिर ये चिट्ठी किसने जारी की? क्या बच्चों को सजा दी जा रही है सिर्फ इसलिए कि हमने सवाल उठाया? और अगर सभी शिक्षक दूसरी जगह भेज दिए गए तो इन बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी कौन लेगा?

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