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दुमका: शिकारीपाड़ा में आदिवासियों ने किया कोल कंपनी का विरोध, कहा-जान देंगे लेकिन जमीन नहीं

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द फॉलोअप टीम, दुमका: 

दुमका जिला के शिकारीपाड़ा थानाक्षेत्र अंतर्गत कोल माइंस का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। सोमवार को भी शिकारीपाड़ा के गंदरपुर फुटबॉल मैदन और सीमानीजोर में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कार्यक्रम का आयोजन किय गया। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र के विधायक नलिन सोरेन और उनकी पत्नी जोएस बेसरा ने शिरकत की। यहां आदिवासियों ने कोल माइंस के विरोध में प्रदर्शन भी किया। 

आदिवासी हितों की रक्षा था उद्देश्य
विधायक नलिन सोरेन ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस मनाने की शुरुआत साल 1994 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने की थी। इस दिवस को मनाने का लक्ष्य आदिवासी हितों की रक्षा और उनके बीच उनके अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाना था। ये दिवस मनाया जाता है ताकि आदिवासियों को उनकी जमीन, परंपरा, रीति-रिवाजों औऱ संस्कृति के प्रति जागरूक कर उनकी रक्षा की जा सके। देश-विदेश के प्रत्येक हिस्से में जनजातियों का शोषण किया जा रहा है। 

कोल कंपनी को नहीं आने दिया जाएगा
विधायक नलिन सोरेन ने कहा कि इस क्षेत्र में किसी भी कोल कंपनी को नहीं आने दिया जाएगा। इस इलाके में किसी भी विकास कार्य के लिए ग्राम सभा की अनुमति ली जानी चाहिए। यदि यहां ग्राम सभा की इजाजत के बगैर कोल माइंस स्थापित करने की कोशिश की गई तो इसका विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि ग्राम सभा और आदिवासियों की मांगों और चिंताओं पर गौर नहीं किया गया तो पहले प्रखंड और भी जिला मुख्यालय के सामने प्रदर्शन किया जाएगा। 

आदिवासियों ने विरोध में की नारेबाजी
गौरतलब है कि कार्यक्रम में आदिवासी ढोल-नगाड़ा सहित तीर-धनुष जैसे पारंपरिक हथियारों के साथ शामिल हुए। उन्होंने कोल कंपनियों के खिलाफ नारेबाजी की। कहा कि हम अपना जल, जंगल और जमीन कोल कंपनी को नहीं देंगे। पूर्वजों ने ये विरासत बनाई है। हम वर्षों से यहां खेती करते आए हैं। यही हमारी आजीविका का मुख्य साधन है। आने वाली पीढ़ियां भी ये विरासत संभालेंगी। उनका कहना था कि यदि कोल कंपनी के विरोध में उनकी जान भी चली जाए तो परवाह नहीं।