द फॉलोअप टीम, रांची:
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की पहल से झारखंड के 33 आदिवासी श्रमिक और उनके नौ बच्चों को छुड़ाया गया है। श्रम विभाग के राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष और फिया फाउंडेशन के संयुक्त प्रयास से उत्तर प्रदेश के देवरिया स्थित ईंट भट्ठा से इन्हें मुक्त करा लिया गया है। 23 जून की सुबह सभी प्रवासी श्रमिक मौर्या एक्सप्रेस ट्रेन से रांची के लिए रवाना हो चुके हैं। ये सभी मजदूर चान्हों के टांगर गांव के निवासी हैं।
बंधक थे श्रमिक, नारकीय जीवन जीने को थे विवश
श्रमिक जनवरी माह में अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश काम की तलाश में गए थे। वहां उनकी मुलाकात एक ठेकेदार से हुई जिसने उन्हें देवरिया जिला के गांव मुंडेरा स्थित रजत ईंट भट्ठा में काम पर लगा दिया। श्रमिकों को ईट भट्ठे में काम तो मिला पर छह महीने काम करने के बाद भी उन्हें पैसा नहीं दिया गया था। श्रमिकों का ईंट भट्ठा संचालक के पास मजदूरी के मद में लगभग सात लाख रुपया बकाया था। श्रमिकों को बंधक बनाकर रखा गया था और बंधुआ मजदूरी की तरह जबरन अमानवीय परिस्थिति में काम कराया जा रहा था। श्रमिकों को रहने के लिए जो जगह दी गयी थी वह काफी जर्जर हालत में थी। साफ-सफाई का अभाव था। खराब हालत में रहने के कारण श्रमिकों के बच्चे भी बीमार रहने लगे थे।
श्रमिकों का बकाया पांच लाख रुपया भी भुगतान हुआ
मामले की जानकारी जब मुख्यमंत्री को हुई तो उन्होंने श्रम विभाग के राज्य प्रवासी नियंत्रण केंद्र को श्रमिकों को मुक्त कराने का आदेश दिया। इसके बाद श्रम विभाग ने देवरिया जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से संपर्क किया। देवरिया के पुलिस प्रशासन की देखरेख में जांच समिति का गठन किया गया। समिति ने इस मामले से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर जांच पड़ताल की और श्रमिकों को मुक्त कराया। साथ ही, श्रमिकों की बकाया सात लाख रुपये पारिश्रमिक में से लगभग पांच लाख रूपये श्रमिकों को ईंट भट्ठा संचालक द्वारा दिया गया।