द फॉलोअप टीम, रांची:
यह बुधु टाना भगत हैं। दिहाड़ी-मजदूरी हैं। लेकिन जब इनके कंठ फूटते हैं तो झारखंड के पेड़-पौधे, जंगल-पहाड़ झूमने लगते हैं। नदी-झरने की लय संगत करती है। नरकोपी बाजरा गांव के बुधु जिनता भी कमाते हैं। उसका इस्तेमाल अपने गीतों की रिकॉर्डिंग पर खर्च कर देते हैं। उनके वीडियो डिजिटल मंचों पर इनदिनों धूम मचा रहे हैं। उनके गीत नागपुरी-कुडुख में होते हैं।
बचपन से गाने का शौक
झारखंड में आम कहावत है, बोलना ही गान, चलना ही नाच। बुधु भला इससे अछूते कैसे रहते। जब छोटे थे, तब जो भी गीत सुनते, गुनगुनाने लगते। धीरे-धीरे उम्र के बढ़ने के साथ वो छिट-पुट गीत लिखने भी लगे। लेकिन उनके साथ एक बड़ा हादसा हो गया, जिसने उनकी जिंदगी ही बदल गई।
डायन बिसाही के झूठे आरोप में 13 साल जेल में रहे
बुधु बताते हैं कि वो हादसा उनके साथ 13 साल पहले हुआ। गांव में डायन बिसाही के आरोप में एक महिला की हत्या हो गई थी। जिसमें पूरे गांव सहित उसे भी आरोपी बनाया गया। इस वजह से उन्हें 13 वर्षो तक जेल में रहना पड़ा। वहां रहते हुए उन्होंने 100 नागपुरी-कुडुख में गीत लिखे। बाद में रिहा होने पर मजदूरी से जुड़ गए।
आर्थिक मजबूरियों को उत्साह करता रहा मात
आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण बुधु स्टूडियों में रिकार्डिंग का पैसा देने के लिए जी तोड़ मजदूरी करते हैं। साथ में परिवार का भरण-पोषण भी करते हैं। एक गाने की रिकार्डिंग में उसे दो से तीन हजार रुपये खर्च करना पड़ता है। परिवार गांव में रहता है। खेती-बाड़ी भी करता हैं। घर में पत्नी और एक बेटा हैं। बेटा मारवाड़ी कॉलेज में इंटर साइंस में उत्तीर्ण हो चुका है। परंतु लॉक डाउन में उसकी पढ़ाई छूट गई हैं।