द फॉलोआप टीम, गांधीनगर:
गुजरात में मुख्यमंत्री के बदलते ही राज्य में सारे राजनीतिक समीकरण भी अब बदलने लगे हैं। 12 सितम्बर को जब बीजेपी के सारे विधायक राजधानी गांधीनगर में पार्टी कार्यालय 'कमलम' पहुंचे थे, तो नेताओं के बीच होने वाले संभावित नए शासक की ताजपोशी की बातें चुपचाप ही सही पर चल रही थींं।जब केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र तोमर ने पार्टी कार्यालय में मुख्यमंत्री विजय रुपानी के उत्तराधिकार की घोषणा की तो चकाचौंध से हमेशा दूर रहने वाले विधायक भूपेंद्र पटेल को बैठक में ढूंढने में ही करीब पांच मिनट लग गए थेे।
भूपेंद्र पटेल को पहाड़ सी चुनौतियों से गुज़रना होगा
बहरहाल जो भी हो, भाजपा आलाकमान ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर महज एक बार के विधायक रहे भूपेंद्र पटेल पर भरोसा जता दिया। जिनके सामने फिलहाल समस्याओं का विशाल पर्वत खड़ा है. गुजरात में विधानसभा चुनाव बिलकुल सर पर है.जाहिर है, नेतृत्व में थोड़े कम अनुभव और पटेल समाज में ज्यादा पैठ रखने वाले भूपेंद्र पटेल अपना करिश्माई जादू गुजरात की जनता पर बिखेर पाते हैं या नहीं, ये तो वक़्त हीं बताएगा, पर उन्हें इस वक़्त वाकई एक अग्नि परीक्षा से गुज़रना होगा।
क्या-क्या सामने होंगी समस्याएं
मॉनसून की मार: हाल ही में गुजरात के सौराष्ट्र इलाके में भारी बारिश की वजह से काफी तबाही हुई है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को जल्द हीं सौराष्ट्र क्षेत्र के लिए राहत पैकेज का ऐलान करना होगा।
लंबित कार्य: गुजरात में फिलहाल दो विभागों का हाल बेहद खस्ता है। वित्त एवं राजस्व विभाग में लगभग 600 से अधिक फाइलें लंबित है। नए-नवेले मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को जल्द ही इन विभागों पर विशेष ध्यान देना होगा।
हतोत्साहित कार्यकर्ता: पिछले कई महीनो से खबर ये है कि पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपानी से कार्यकर्ताओं को मिलने में अफसरों ने खूब अड़ंगे लगाई। मुख्यमंत्री से संपर्क न साध पाने की स्थिति में बीजेपी कार्यकर्ताओं के अंदर एक वाजिब गुस्सा था, जिससे निपटने की रणनीति तो भाजपा को जल्द ही बनानी थ।. फिलहाल वर्त्तमान मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को बीजेपी के तमाम कार्यकर्ताओं को नए सीरे से एकजुट करने की भी जिमेदारी है।
नाराज पाटीदार : गुजरात में पाटीदार समाज की कुल आबादी तक़रीबन 18 फीसद है। पहले खेती-गिरहस्ती और अब व्यापर में भी आधिपत्य जमाये पाटीदार समाज का प्रभाव गुजरात के कुल तीन से चार विधानसभाओं में है। पिछले कई महीनो से प्रभावी पाटीदार समाज आरक्षण की मांग कर रहे थे जिसे बीजेपी ने सिरे से ख़ारिज कर दिया था। कहा जा रहा है की प्रभावी पाटीदार समाज तबसे हीं बीजेपी से नाराज चल रहे थे। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल पाटीदारों में मजबूत पैठ रखते है। बीजेपी आलाकमान को यह उम्मीद है कि पाटीदार समाज को मनाने में भूपेंद्र पटेल कामयाब होंगे।
वरिष्ठ नाराज: पहली बार के ही विधायक रहे भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री के लिए भाजपा आलाकमान ने चुना है, वो भी तब, जब उनसे कहीं अधिक और वरिष्ठ नेता पहले से ही गुजरात बीजेपी में मौजूद हैंं। जाहिर है कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को आने वाले भविष्य में बुजुर्गों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल वक़्त की मांग यही है की भूपेंद्र पटेल कार्यकर्ताओं के साथ-साथ रूठने वाले वरिष्ठ नेताओं को भी साथ जोड़े रखें।