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रांची SSP सुरेन्द्र झा की अनकही कहानी, जानिए ! कैसे बिना गोली चलाए 16 खूंखार नक्सलियों को किया था गिरफ्तार ?

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द फॉलोअप टीम-रांची-2010 बैच के आईपीएस अधिकारी सुरेंद्र कुमार झा राजधानी रांची के नए एसएसपी बनाए गए हैं। पदभार संभालते ही सुरेंद्र कुमार झा ने वही बातें कही जो अक्सर कोई भी नया कप्तान कमान संभालने के बाद कहता है। लेकिन आज द फॉलोअप टीम रांची के नए एसएसपी सुरेन्द्र झा के बारे में कुछ ऐसी जानकारी साझा करने जा रही है जो शायद अबतक आप नहीं जानते हैं। 
2010 में बने थे चक्रधरपुर के SDPO 
2010 बैच के अफसर सुरेंद्र कुमार झा की पहली पोस्टिंग चक्रधरपुर में एसडीपीओ के पद पर हुई थी। इसके बाद रांची में ग्रामीण एसपी बने। फिर चतरा के एसपी बनाए गए। धनबाद में जब एसएसपी का पद सृजित हुआ तो उन्हें धनबाद का पहला एसएसपी बनाया गया था। इसके बाद कोडरमा फिर गिरिडीह के एसपी बने।
पब्लिक फ्रेंडली हैं सुरेन्द्र झा 
रांची के 71वें एसएसपी के रूप में पदभार ग्रहण करने वाले सुरेंद्र कुमार झा पीपल फ्रेंडली हैं। झारखण्ड में यह दूसरे ऐसे आईपीएस अधिकारी हैं, जिनके तबादले से लोग खुश नहीं होते बल्कि सड़क पर उतर कर विरोध और प्रदर्शन करने लगते हैं। सुरेंद्र झा के साथ यह वाक्या चतरा और कोडरमा दोनों जगह हो चुका है। चतरा से जब सुरेंद्र कुमार झा का तबादला हो गया था तो लोग सड़क पर उतर आये थे।
पत्रकारों को कहते हैं दोस्त
सुरेंद्र कुमार झा जब रांची में ग्रामीण एसपी थे तो पत्रकारों को दोस्त कहते थे। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान खेलगांव में जब ईवीएम को रखने को लेकर पॉलिटकल पार्टी के लोग सड़क पर उतरे तो लाठी चार्ज हुआ था। उस लाठी चार्ज में कई पत्रकारों को चोट आई थी। रांची में ग्रामीण एसपी रहते सुरेंद्र झा ने नक्सलियों के खिलाफ बहुत काम किया था। नक्सलियों में इनके नाम का खौफ है।
प्रीति हत्याकांड में लगा था दाग
चुटिया के प्रीति हत्याकांड में सुरेंद्र कुमार झा की कार्यशैली सवालों के घेरे में थी। उनके करियर पर ये एक बदनुमा दाग था। दरअसल 15 फरवरी 2014 को चुटिया की प्रीति की हत्या के मामले में पुलिस ने तीन निर्दोष युवकों को जेल भेज दिया था। सीआइडी की जांच में तीनों युवक अजीत कुमार, अमरजीत कुमार और अभिमन्यु के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला। बाद में सीआइडी की रिपोर्ट के बाद कोर्ट से तीनों युवक बाइज्जत बरी किये गये। दरअसल जिस प्रीति की हत्या के मामले में 3 लोगों को जेल भेजा गया था वो प्रीति 14 जून 2014 को रांची ग्रामीण एसपी सुरेंद्र कुमार झा के सामने खुद हाजिर हो गई थी। पूरा मामला यही था कि चुटिया से एक प्रीति नाम की लड़की गायब थी। कुछ दिन बाद बुंडू में एक लड़की की जली हुई लाश मिली। पुलिस ने इसे प्रीति की ही लाश बताकर तीन निर्दोष युवकों को जेल भेज दिया था। वैसे सुरेन्द्र झा ही थे जिनके कारण बाद में  प्रीति को इंसाफ मिला। 
धनबाद के पहले SSP थे सुरेन्द्र झा
धनबाद जिला में एसएसपी का पद सृजित हुआ था, तब सबसे पहले सुरेंद्र कुमार झा को ही इसकी कमान सौंपी गई थी। सुरेंद्र झा 28 जनवरी 2016 को धनबाद के एसएसपी बनाये गए थे लेकिन एक मामले ने तूल पकड़ा और उनका तबादला कर दिया गया। दरअसल तोपचांची में गाड़ी की चेकिंग के दौरन चमड़ा व्यवसाई पर थानेदार ने गोली चला दी थी, जिसमें व्यवसाई घायल हो गया था। आरोप थानेदार और डीएसपी मजरुल होदा पर लगा था। मामला तूल पकड़ा और तूल पकड़ने के बाद तोपचांची सर्किल के इन्स्पेक्टर उमेश कच्छप ने थाने में फांसी लगा ली। इस मामले की सीआईडी जाँच हुई थी। दो दिन पहले सीआईडी ने जाँच रिपोर्ट जमा की, जिसमें होदा को दोषी बताया गया है।
चतरा में सुरेन्द्र झा के पक्ष में तालाबंदी
चतरा से जब सुरेंद्र झा का तबादला किया गया तो स्थानीय लोगों ने सरकार के निर्णय के विरोध में एसपी आवास में तालाबंदी करते हुए केसरी चौक और एनएच 99 को जाम कर दिया था। इस आंदोलन को पुलिस का भी नैतिक समर्थन मिला था। सुरेंद्र झा के अनुरोध के बाद ही लोगों ने ताला खोला था फिर वे बाहर आ पाए थे। इन्हीं के कार्यकाल के दौरान नक्सलियों का 90 लाख रुपया से अधिक कैश एक बार में बरामद हुआ था। साथ ही ak 47 सहित अन्य अत्याधुनिक हथियार बरामद हुए थे। सुरेंद्र झा की ओर से भेजी गई गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर ही NIA चतरा में टेरर फंडिंग मामले की जाँच कर रही है और इस मामले में लगभग शीर्ष नक्सली जेल में हैं। चतरा के पत्रकार सूर्यकांत कमल के अनुसार एसपी सुरेंद्र झा से पब्लिक रात 12 बजे भी मुलाकात करना चाहता था तो वे मिलते हैं।
गिरिडीह में 3 साल रहे सुरेन्द्र झा
सुरेन्द्र झा गिरिडीह में लगभग 3 साल रहे। गिरिडीह में डुमरी के अकबकी टांड में बिना एक गोली चलाये 25 लाख का इनामी नक्सली सोहन गंझू सहित 16 हार्डकोर नक्सलियों को सुरेन्द्र झा ने गिरफ्तार किया था। उनके पास से हथियारों का जखीरा मिला था। इसी दौरान करीब 1400 से अधिक आधार कार्ड मिले थे। जिसकी जाँच NIA भी कर रही है। 
400 साइबर अपराधी को भेज चुके हैं जेल
साइबर अपराध के खिलाफ भी सुरेन्द्र झा की बड़ी उपलब्धि रही है। 400 के करीब साइबर अपराधियों को उन्होंने गिरफ्तार किया है। गिरिडीह के पत्रकार मृणाल के अनुसार नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले पारसनाथ पहाड़ी से नक्सलियों का सफाया करने का श्रेय सुरेन्द्र झा को ही जाता था। सुरेन्द्र झा रात को भी एनकाउंटर में खुद से निकलते थे। झारखण्ड बिहार के सीमावर्ती इलाके में नक्सली के हर मोमेंट की जानकारी रखते थे। इस लॉकडाउन में मानवता का चेहरा एसपी में दिखा। कई जरूरतमंदों को उन्होंने अपनी जेब से पैसा देकर मदद की है। 
सुरेन्द्र झा ने गिनाई प्राथमिकता
पदभार ग्रहण करने के बाद नवनियुक्त एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने कहा कि रांची के लॉ एंड आर्डर को मेंटेन करना, ट्रैफिक समस्याएं दूर करना, साइबर क्राइम रोकना, ग्रामीण क्षेत्र में नक्सल समस्याओं को दूर करना उनकी प्राथमिकता होगी। उन्होंने कहा कि अपराध पर नकेल कसने में वो कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।