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गोवा को पुर्तगालियों से कैसे करवाया गया था आजाद, यहां पढ़िये मुक्ति संग्राम की पूरी कहानी

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द फॉलोअप टीम, डेस्क:

आज गोवा मुक्ति दिवस मनाया जा रहा है। गौरतलब है कि आज ही के दिन यानी 19 दिसंबर 1961 को गोवा को पुर्तगाली शासन से आजाद करवाया गया था। गोवा में इस दिन को मनाने के लिए खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने भाग लिया। गोवा के पणजी स्थित आजाद मैदान में शहीद स्मारक पर प्रधानमंत्री मोदी ने शहीद जवानों का श्रद्धांजलि दी। 

राजधानी पणजी में फ्लाईपास्ट का आयोजन
गौरतलब है कि गोवा मुक्ति दिवस समारोह के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पणजी के सेल परेड और फ्लाईपास्ट में हिस्सा लिया। गौरतलब है कि गोवा मुक्ति दिवस प्रत्येक साल 19 दिसंबर को मनाया जाता है। 19 दिसंबर 1961 को ही गोवा को पुर्तगाली शासन से आजाद करवाया गया था। दरअसल, सन् 1947 में जब भारत को आजादी मिली थी तब अंग्रेजों ने गोवा को पुर्तगालियों को हस्तांतरित कर दिया था। हालांकि तात्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि गोवा को भारतीय गणराज्य में शामिल किया जाये। 

गोवा को पुर्तगालियों से कैसे आजाद करवाया
गोवा को पुर्तगालियों से आजाद करवाने का क्या मतलब है। गोवा पुर्तगालियों का गुलाम क्यों था। पूरा मामला आपको समझाते हैं। दरअसल, हिंदुस्तान में तब मुगल सत्ता थी। 1510 ईस्वी में अलफांसो-द-अल्बुकर्क के नेतृत्व में पुर्तगालियों ने गोवा पर कब्जा कर लिया था। गोवा बिना किसी संघर्ष के पुर्तगालियों के कब्जे में आ गया था। इस बीच युसूफ आदिल खां ने गोवा को पुर्तगालियों से आजाद करवाने का प्रयास किया लेकिन कामयाबी नहीं मिली। बाद में फ्रांस के सम्राट नेपोलियन ने 1809 से 1815 तक लगातार चले संघर्षों के बीच गोवा को पुर्तगालियों से छीन लिया। इस बीच पुर्तगाल ने अंग्रेजों की सहायता से दोबारा गोवा पर कब्जा किया। 

एंग्लो-पुर्तगाली गठबंधन और गोवा की आजादी
एंग्लो-पुर्तगाली गठबंधन के परिणामस्वरूप गोवा पर स्वत ही अंग्रेजों का नियंत्रण स्थापित हो गया। 1815 से 1947 तक गोवा अंग्रेजों के अधीन रहा। जब भारत को आजादी मिली तो तात्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि गोवा भारतीय गणराज्य को सौंप दिया जाये, लेकिन इस तर्क पर कि जब पुर्तगाल ने गोवा पर कब्जा किया था तो कोई भारतीय गणराज्य नहीं था, अंग्रेजों ने गोवा को पुर्तगाल को हस्तांतरित कर दिया। इस बीच गोवा मुक्ति संग्राम जारी रहा। गोवा कांग्रेस समिति इसकी अगुवाई करत थी। 

जब प्रधानमंत्री ने सैन्य कार्रवाई का फैसला किया
गोवा में पुर्तगालियों का शासन चलता रहा लेकिन स्वतंत्रता का आंदोलन भी जारी थी। आखिरकार इस आंदोलन को समर्थन देते हुए भारत सरकार ने गोवा को सैन्य कार्रवाई के द्वारा आजाद करवाने का फैसला किया। 2 दिसंबर 1961 को भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना ने संयुक्त कार्रवाई शुरू की। मेजर जनरल केपी कैंडेथा को 17 इंफैंट्री और 50 पारा ब्रिगेड का प्रभार मिला। हवाई कार्रवाई की जिम्मेदारी एयर वाइस मार्शल एरलिक पिंटो को दी गई। 8-9 दिसंबर को वायु सेना ने पुर्तगाली ठिकानों पर अचूक बमबारी की। 18 दिसंबर को जमीनी कार्रवाई शुरू की गई। अगले ही दिन भारत ने गोवा पर अधिकार कर लिया। 

गोवा मुक्ति संग्राम अथवा ऑपरेशन विजय
भारतीय थलसेना, वायु सेना और वायु सेना की संयुक्त कार्रवाई का परिणाम था कि गोवा को स्वतंत्र करा लिया गया। 19 दिसंबर 1961 को गोवा पुर्तगाली शासन से आजाद हो गया। इस सैन्य कार्रवाई को ऑपरेशन विजय नाम दिया गया था। 19 दिसंबर 1961 को गोवा के तात्कालीन गर्वनर मेन्यू वासलो डि सिल्वा ने भारत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। 30 मई 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। गोवा भारतीय गणराज्य का 25वां राज्य बन गया। फिलहाल यहां बीजेपी का शासन है।