logo

स्थायीकरण की मांग को लेकर 5 सितंबर से हड़ताल पर जाने का पारा शिक्षकों ने दिया सरकार को अल्टीमेटम

750news.jpg
द फॉलोअप टीम, रांची : एक तरफ कोरोना वायरस से प्रदेश के लोगों की हालत बिगड़ती जा रही है, तो वहीं दूसरी ओर पारा मेडिकल के बाद अब पारा शिक्षकों के हड़ताल के अल्टीमेटम से राज्य सरकार का सिरदर्द बढ़ सकता है। पारा शिक्षकों ने भी स्थायीकरण और वेतनमान की नियमावली को 4 सितंबर तक कैबिनेट में पारित करने का दबाव बनाते हुए 5 सितंबर से हड़ताल करने का अल्टीमेटम दिया है।

पारा मेडिकल के रास्ते पर पारा शिक्षक 
दरअसल, पिछले दिनों पारा मेडिकलकर्मियों ने स्थायीकरण समेत अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर थे। इसके बाद स्वास्थ्य सचिव को मजबूरन लिखित तौर पर आश्वासन देना पड़ा। उसी ट्रैक पर चलते हुए पारा शिक्षकों ने मौके का फायदा उठा कर 5 सितंबर से हड़ताल करने का अल्टीमेटम दिया है। पारा शिक्षकों ने राज्य में 65 हजार से अधिक शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान की नियमावली के तहत ही अल्टीमेटम दिया है।

अपना वादा निभाए सरकार 
पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के सदस्यों का कहना है कि हेमंत सरकार ने चुनाव से पहले अपनी हर सभा में सरकार गठन के 3 महीने में पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान का वादा किया था, लेकिन वो चुनावी वादे जमीन पर नहीं उतर पाये। मोर्चा ने कहा आंदोलन की रुपरेखा 15 अगस्त के बाद राज्य और जिला इकाई के साथियों से विचार कर घोषित किया जाएगा। 15 अगस्त के बाद राज्य इकाई का एक शिष्टमंडल शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से मिलेगा और नियमावली समेत अन्य मांगों से उन्हें अवगत कराया जाएगा। 

रघुवर सरकार में भी हुई थी लंबी हड़ताल
पारा शिक्षकों की ये कोई पहली हड़ताल नहीं है। पारा शिक्षकों की हड़ताल बहुचर्चित रही है। पारा शिक्षकों का मामला हाईकोर्ट की दहलीज तक भी पहुंच चुका है।  पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान को लेकर रघुवर सरकार के कार्यकाल में भी 15 नवंबर 2018 से 17 जनवरी 2019 तक हड़ताल पर थे। राज्य में सर्वशिक्षा अभियान लागू होने के बाद पारा शिक्षकों की यह दूसरी सबसे लंबी अवधि की हड़ताल थी। इससे पहले पारा शिक्षक संघ ने साल 2012 में अपनी मांगों को लेकर 63 दिनों तक की हड़ताल की थी। इस दौरान पारा शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर सभी जिलों में भाजपा कार्यालयों के सामने प्रदर्शन किया था। 

पारा शिक्षकों का मामला कोर्ट में है लंबित
पारा शिक्षकों की हड़ताल से हजारों स्कूलों में बच्चों का पठन-पाठन ठप हो गया था। तत्काल शिक्षा मंत्री से शिक्षकों की दो-दो बार हुई वार्ता विफल होने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इनकी मांगों पर विचार करने के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित की थी। इसके बावजूद पारा शिक्षकों पर कोई असर नहीं हुआ। साल 2012 में 63 दिनों तक चली पारा शिक्षकों की हड़ताल झारखंड हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद खत्म हुई थी। उस समय भी तत्काल शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम के साथ हुई वार्ता भी विफल हुई थी। बाद में हाईकोर्ट ने हड़ताल खत्म करने का आदेश दिया था। बहरहाल, कोरोना काल में हड़ताल होने से सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती हैं। भीड़-भाड़ में इसका ख्याल रखना मुश्किल हो जाता है। सरकार को इसपर गंभीरता से सोचना चाहिए।