द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
सुपरस्टार रजनीकांत को सिनेमा जगत में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए 67वें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उपराष्ट्रपति औऱ राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने रजनीकांत को सम्मानित किया। इस दौरान कार्यक्रम में केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर भी रहे। गौरतलब है कि रजनीकांत को उनके पांच दशक लंबे फिल्मी करियर के लिए सिनेमा जगत में दिये जाने वाले सबसे बड़े पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दादा साहब फाल्के को भारतीय फिल्म जगत का पितामह कहा जाता है।
इस ज्यूरी ने किया था रजनीकांत का चयन
रजनीकांत बीते 5 दशक से सिनेमा पर राज कर रहे हैं। इस साल ये सिलेक्शन ज्यूरी ने किया है। इस ज्यूरी में आशा भोंसले, मोहनलाल, विश्वजीत चटर्जी, संकर महादेव और सुभाष घई जैसे कलाकार शामिल है। सिनेमा जगत ने भी जताई खुशी।
कभी घर चलाने के लिए रजनीकांत करते थे कुली का काम
रजनीकांत का बचपन मुश्किलों से भरा रहा है। बचपन में उन्हें आर्थिक तंगी का सामना भी करना पड़ता था। आपको बता दें कि रजनीकांत का असली नाम ‘शिवराज राव गायकवाड़’ था और यही शिवराज राव आगे चल कर रजनीकांत बने। रजनीकांत 5 साल के थे तभी उनकी मां का निधन हो गया। मां के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके ही कंधे पर आ गई थी। तब रजनीकांत के लिए घर चलाना इतना आसान नहीं था और फिर उन्होंने घर चलाने के लिए कुली का काम तक किया था।
फिल्मों में आने से पहले बस कंडक्टर थे रजनीकांत
अभिनेता रजनीकांत फिल्मों में आने से पहले बस कंडक्टर की नौकरी करते थें। रजनीकांत ने फिल्मों में तमिल फिल्म निर्देशक बालचंद्र की फिल्म ‘अपूर्वा रागगाल’ से एंट्री ली थी। इस फिल्म में कमल हासन और श्रीविधा भी थे। रजनीकांत ने अपने अभिनय की शुरुआत नाटकों से की थी। दुर्योधन की भूमिका में रजनीकांत घर–घर में लोकप्रिय हुए थे। रजनीकांत ने इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बॉलीवुड में भी रजनीकांत ने अपने दमदार अभिनय का लोहा मनवाया और कई फिल्मों में नजर आय़े।
शुरुआत में निगेटिव रोल में दिखे थे रजनीकांत
आपको बता दें कि कई नकारात्मक किरदार निभाने के बाद रजनीकांत पहली बार नायक रूप में एसपी (ASP) मथुरमन की फिल्म ‘भुवन ओरु केल्वीकुरी’ में दिखे थे। उनके प्रति लोगों की दीवानगी इस हद तक है कि वे उन्हें भगवान मानते हैं। रजनीकांत की फिल्में सुबह साढ़े तीन बजे तक रिलीज हो जाती थीं। कुली से सुपरस्टार बनने वाले रजनीकांत कभी यहां तक पहुंच नही पाते अगर उनके दोस्त राज बहादुर ने उनके अभिनेता बनने के सपने को जिंदा ना रखा होता। उन्होंने ही रजनीकांत को मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने के लिए कहा था। दोस्त की बदौलत ही रजनीकांत आगे बढ़ते गए और फिर फिल्मों में काम करने लगे।
वर्ष 1983 में हुई थी रजनीकांत की बॉलीवुड में एंट्री
साल 1983 में उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा था जिसमें उनकी फिल्म ‘अंधा कानून’ थी। रजनीकांत इसके बाद तरक्की की ओर बढ़ने लगे और आज वो दक्षिण सिनेमा के सबसे बड़े स्टार कहे जाते हैं। दादा साहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का जन्मदाता कहा जाता है। रजनीकांत से पहले अमिताभ बच्चन को यह पुरस्कार दिया गया था।