द फॉलोअप टीम, रांची:
आजसू पार्टी ने तमिलनाडु के तर्ज पर झारखंड में भी पिछड़ों को आरक्षण सुनिश्चित करने की मांग सरकार से की है। पार्टी की ओर से जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि तमिलनाडु में आरक्षण की सीमा बढ़ाने के सम्बंध में उच्चतम न्यायालय का निर्णय है कि ऐसा करना तभी उचित होगा जब राज्यों के पास जातीय आंकड़े उपलब्ध हो। आजसू पार्टी ने मांग किया है कि 2021 की जनगणना जाति आधारित हो और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा भी हटायी जाए। 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा, सामाजिक न्याय की प्रक्रिया में बाधक है। झारखंड के परिपेक्ष्य में यह मांग और भी जरूरी हो जाती है क्योंकि यहां मंडल कमीशन के अनुरूप ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत लागू करने में वैधानिक अड़चन है और राज्य में ओबीसी को केवल 14 प्रतिशत ही आरक्षण मिल पा रहा है। पार्टी के केंद्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने कहा कि पिछड़ा वर्ग के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हिस्सेदारी और अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए जातिगत जनगणना जरुरी है। जनगणना, नीतियां बनाने का एक प्रमुख आधार भी है।
50 प्रतिशत आरक्षण सीमा, सामाजिक न्याय की प्रक्रिया में बाधक
कई राज्यों ने जनगणना में विवरण जुटाने का केंद्र सरकार से अनुरोध किया है। अलबत्ता बिहार विधानसभा ने इसके लिए साल 2019 तथा 2020 में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा है। आजसू का कहना है कि ओबीसी झारखंड राज्य समेत देश की जनसंख्या का बड़ा समूह है। अलग-अलग राज्यों में पिछड़ा वर्ग आयोग गठित हैं, जो कई मामलों में रिपोर्ट करती है। संसद में पारित ओबीसी बिल संविधान के 102वें संशोधन के कुछ प्रावधानों को स्पष्ट करने के लिए लाया गया है। इस बिल के पास होने के बाद एक बार फिर राज्यों को पिछड़ी जातियों की लिस्टिंग का अधिकार मिल गया। बिल पास होने से राज्यों को नई जातियों को ओबीसी वर्ग में शामिल करने का अधिकार मिल गया, लेकिन आरक्षण की सीमा अभी भी 50 प्रतिशत ही है। इंदिरा साहनी केस के फैसले के मुताबिक अगर कोई 50 प्रतिशत की सीमा के बाहर जाकर आरक्षण देता है तो सुप्रीम कोर्ट उस पर रोक लगा सकती है। महाराष्ट्र के केस में ऐसा देखा जा चुका है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण रद्द कर दिया और फैसला सुनाया कि राज्यों को आरक्षण प्रदान करने का कोई अधिकार नहीं है।
सामाजिक न्याय मार्च आज का पांचवा दिन, 1300 गांव पहुँची आजसू पार्टी
8 अगस्त-माटी पुत्र शहीद निर्मल महतो शहादत दिवस के अवसर पर शुरु हुए सामाजिक न्याय मार्च के पांचवें दिन तक आजसू पार्टी के नेता, कार्यकर्ता और समर्थक 1300 गांवों में जा चुके हैं। यह मार्च सात दिनों तक चलेगा। मार्च के दौरान स्मरण पत्र पर लोगों से हस्ताक्षर लिया जा रहा है। सामाजिक न्याय मार्च के पश्चात सभी प्रखंडो से इकट्ठा किये गए हस्ताक्षरयुक्त स्मरण-पत्र को मुख्यमंत्री के पास भेजा जाएगा।