सुभाष चन्द्र कुशवाहा, लखनऊ:
रूस की आबादी महज 14 करोड़ के लगभग है। क्षेत्रफल भारत से 420 प्रतिशत ज्यादा। India is approximately 3,287,263 sq km, while Russia is approximately 17,098,242 sq km, making Russia 420% larger than India. Meanwhile, the population of India is ~1.3 billion people (1.2 billion fewer people live in Russia).
इसलिए गाँवों में कोई दिखता नहीं। सेव के बाग प्रचुरता में हैं। आप तोड़ सकते हैं। लोग मुफ्त में दे सकते हैं। जाड़े की गेहूं खूब बोई गई है।
क्यूरन में चेरी की तरह फल लगे हैं। चुकंदर बड़े आकार के हैं। गेहूं के सूखे डंठलों को रोल बनाकर खेतों में रखा गया है जो पशुओं के चारे के काम आएगा या पेपर बनाने के काम। बैगन आलू, खूब होता है यहां।
Rostov सिटी, रूस का लगभग 1000 साल पुराना छोटा शहर है, जहां एक ऐतिहासिक क्रेमलिन और चर्च है। कभी यह भी सत्ता का केंद्र था।
आज इस शहर से गुजरना हुआ। इसकी नीली गुम्बद, रूस की पुरानी कला है जो लकड़ी पर पेंट कर बनाई जाती है।
रूस के प्राचीन बर्तन
रूस के ग्रामीण क्षेत्रों में भी शानदार पेट्रोल पंप हैं। उनके साथ एक शॉपिंग मॉल और शौचालय है। पेट्रोल पंप पर कोई आदमी नहीं। आपको अपने कार्ड से खुद ईंधन भरना है। पेट्रोल और डीजल की कीमत लगभग समान है। भारतीय रुपये में यह कीमत 50 रुपये 20 पैसे प्रति लीटर के लगभग है।
हम लोग Sergiyev Posad शहर पहुंचे हैं। यह पवित्र शहर माना जाता है। आस्था चरम पर है। लोग चमत्कारों में विश्वास करते हैं। चर्चों की ताकत गजब की है। कभी सत्ता के केंद्र में रहे चर्च, समृद्धि के प्रतीक हैं।
Sergiyev Posad grew in the 15th century around one of the greatest of Russian monasteries, the Trinity Lavra established by St. Sergius of Radonezh, still (as of 2015) one of the largest monasteries in Russia. Town status was granted to Sergiyev Posad in 1742. The town's name, alluding to St. Sergius, has strong religious connotations. Soviet authorities changed it first to just Sergiyev in 1919, and then to Zagorsk in 1930, in memory of the revolutionary Vladimir Mikhailovich Zagorsky. Sergiyev Posad was penetrated by Germany in 1941.
अब हम यात्रा के अंतिम पड़ाव पर हैं और Sergiyev Posad में जिस होटल में ठहरे हुए हैं, वह सिर्फ होटल नहीं, इतिहास है। आप किसी न किसी महत्वपूर्ण लेखक के नाम पर बनाये गए कमरे में ठहर सकते हैं। मैं चेखव के नाम वाले कमरे में हूँ।
इसमें चेखव का चित्र, उनके द्वारा उपयोग किये गए समान, बॉक्स, मेज जैसा मेज, आदि रखा गया है।
चेखव की किताबें हैं। ग्रामोफोन है, लकड़ी का डस्टबीन, घड़ी, चाय के कप आदि हैं।
एक और शहर में सर्गेव पोसाद! Sergiyev Posad grew in the 15th century around one of the greatest of Russian monasteries, the Trinity Lavra established by St. Sergius of Radonezh, still (as of 2015) one of the largest monasteries in Russia. Town status was granted to Sergiyev Posad in 1742. The town's name, alluding to St. Sergius, has strong religious connotations. Soviet authorities changed it first to just Sergiyev in 1919, and then to Zagorsk in 1930, in memory of the revolutionary Vladimir Mikhailovich Zagorsky. Sergiyev Posad was penetrated by Germany in 1941.
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(यूपी सरकार की उच्च सेवा से रिटायर्ड अफसर सुभाष चंद्र कुशवाहा लेखक ,इतिहासकार और संस्कृतिकर्मी हैं। आशा, कैद में है जिन्दगी, गांव हुए बेगाने अब (काव्य संग्रह), हाकिम सराय का आखिरी आदमी, बूचड़खाना, होशियारी खटक रही है, लाला हरपाल के जूते और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) और चौरी चौरा विद्रोह और स्वाधीनता आन्दोलन (इतिहास) समेत कई पुस्तकें प्रकाशित। कई पत्रिकाओं और पुस्तकों का संपादन। संप्रति लखनऊ में रहकर स्वतंत्र लेखन। अभी वह रूस की यात्रा पर हैं।)
नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। द फॉलोअप का सहमत होना जरूरी नहीं। हम असहमति के साहस और सहमति के विवेक का भी सम्मान करते हैं।