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सरयू राय ने सीएस को पत्र भेज कर पूछा-रामगढ़ डीएमओ ने सीसीएल रजरप्पा में बगैर बकाया चुकाए कोल डिस्पैच कैसे शुरू कर दिया?

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द फॉलोअप टीम, रांची:
 झारखंड की सीसीएल कोलियरियों में कोयले के डिस्पैच में घपले-घोटाले की खबरें शायद ही कभी सुर्खियां बटोरती हैं। लेकिन निर्दलीय विधायक व पूर्व मंत्री सरयू राय की पारखी नजर खदान तक भी पहुंच गई है। उन्होंने रामगढ़ के जिला खनन पदाधिकारी (डीएमओ) के खेल को पकड़ लिया है। उन्होंने इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को एक पत्र लिखकर पूछा है कि रजरप्पा के सीसीएल से बिना पुराना बकाया चुकाए ही फिर से कोल डिस्पैच का काम कैसे शुरू कर दिया गया है। ये  मामला वाश कोल को लेकर है।

डीएमओ ने कैसे परमिशन दे दिया?
सरयू राय ने पत्र में लिखा है कि सीसीएल रजरप्पा के वाश कोल की करीब 850 करोड़ की राशि की रॉयल्टी बाकी है। इसके एवज में सीसीएल से सरकार को बकाए का करीब तिगुना वसूलना है। ये राशि लंबे समय से बकाया है। बकाया चुकाने के बाद ही वाश कोल के लिए डिस्पैच का परमिट देना है। पर मजे की बात देखिए कि बगैर जुर्माना दिए ही सीसीएल की तरफ से डिस्पैच का काम शुरू हो गया है और इसकी खबर सरकार को या खान विभाग को नहीं है। आखिर डीएमओ ने किसके आदेश से वाल वाश डिस्पैच का परमिशन दे दिया?

डीएमओ पर कब गिरेगी गाज?
सवाल उठता है कि आखिर रामगढ़ जिला खनन पदाधिकारी ने किसके इशारे पर अपनी मनमानी की? सरयू राय ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि भारी बकाया की वजह से खनन विभाग ने रजरप्पा प्रोजेक्ट से उत्खनित कोयले के परिवहन के लिये माइनिंग चालान पर रोक लगा दी थी। पिछली सरकार में सीसीएल ने काफी प्रयास किया कि इस प्रोजेक्ट से डिस्पैच के लिये परिवहन माइनिंग चालान सरकार जारी कर दे। कई बार फाइल आगे भी बढ़ी। कई बार फाइल नीचे से ऊपर तक पहुंची लेकिन बात नहीं बनी। बाजाब्ता मातहत अधिकारियों को चालान देने के लिये मौखिक आदेश दिए गए। लेकिन फाइल पर लिखित आदेश देने की हिमाकत खनन सचिव या विभागीय मंत्री नहीं कर सके। आखिरकार माइनिंग चालान नहीं मिलने के कारण डिस्पैच को बंद कर दिया गया।   वही काम जिला खनन पदाधिकारी ने आसानी से कैसे कर दिया? वहीं दूसरी ओर  बकाया राशि का भुगतान किये बिना खनन विभाग के जेम्स पोर्टल पर चालान देने का निर्देश कैसे दे दिय़ा गया? अब जिला खनन पदाधिकारी का निर्देश मिलने के बाद सीसीएल अधिकारियों ने कोयले का डिस्पैच शुरू कर दिया है और इसपर किसी की नजर नहीं पड़ी। कहीं ऐसा तो नहीं कि डीएमओ ने सबकुछ मैनेज कर लिया है। ये तो जांच के बाद ही इसका खुलासा हो सकेगा। 

डीएमओ ने यह हिमाकत कैसे की?
सरयू राय ने अपने पत्र में ये भी कहा है कि उनकी जानकारी में सक्षम प्राधिकार ने फाइल पर इस आशय का कोई आदेश नहीं दिया है। इसके बावजूद किसी के आदेश से या बड़ी चालाकी से रामगढ़ जिले के खनन पदाधिकारी ने नियम के खिलाफ वहां से कोयले के परिवहन के लिए माइनिंग चालान जारी कर दिया है। निश्चित रूप से जिला खनन पदाधिकारी का ये अकेले का काम नहीं है। 

सरयू राय ने इस मामले में ट्वीट भी किया 
सरयू राय ने शनिवार को एक ट्वीट के जरिए सीएम हेमंत सोरेन की ओर इंगित करते हुए कहा है कि एक तरफ केंद्र सरकार से कोल इंडिया पर राज्य का 74 प्रतिशत करोड़ रुपए बकाया मांगते हैं, दूसरी तरफ रामगढ़ के खनन पदाधिकारी ने रजरप्पा कोलियरी पर राज्य का 850 करोड़ रुपये का बकाया होने के बावजूद उसे माइनिंग परिवहन का चालान दे दिया है, जबकि यह चालान कई वर्षों से रुका हुआ था। अब देखना है कि सीएम इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं।